कभी दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों की श्रेणी में शामिल रहा स्वीडन अब सीरिया से आए शरणार्थियों के आतंक से परेशान है। वहां पर कई नो गो जोन बन चुके हैं, जहां आम आदमी तो बहुत दूर की बात हैं, खुद सुरक्षा एजेंसियों तक को जाने की इजाजत नहीं है। यहीं से लोग आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। इसी क्रम में स्वीडिश अदालत ने एक व्यक्ति को ISIS में शामिल होने के लिए तीन वर्ष की सजा सुनाई है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक स्टेट में शामिल होने पर स्वीडन में प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ये पहला मामला है, जिसमें किसी को सजा सुनाई गई है। ये सजा 22 साल के एक नवयुवक को सुनाई गई है। पता चला है कि दोषी व्यक्ति ने इस्लामिक स्टेट के लिए काम करने, आतंकी फंडिंग और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए तीन बार सोमालिया की यात्रा की थी। इसी मामले में उसे तीन साल और तीन माह की सजा सुनाई गई है।
सख्त एंटी टेररिज्म लॉ का पालन करता है स्वीडन
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में स्वीडन में एक उज्बेक कट्टरपंथी शरणार्थी, जो कि आईएसआईएस से प्रेरित, ने स्टॉकहोम में ट्रक से कई लोगों को लोन वुल्फ अटैक करके कुचल दिया था, उसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी। कई लोग बुरी तरह से घायल हुए थे। उसी के बाद स्वीडिश सरकार आतंकवाद विरोधी सख्त कानून बनाया।
इसे भी पढ़ें: स्वीडन: बमविस्फोट, श्वेत लड़कियों के साथ बलात्कार और गोलीबारी की घटनाएं: कौन कर रहा है और क्यों?
बाद में वर्ष 2023 में स्वीडिश पार्लियामेंट ने संविधान संशोधन करके एक कानून बनाया, जिसके तहत देश ने इस्लामिक स्टेट में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया।
अपराधों को लेकर चर्चा में स्वीडन
इन दिनों यूरोप का देश स्वीडन चर्चा में है। स्वीडन में लगातार बम धमाके हो रहे हैं, श्वेत लड़कियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं और लगातार गोलीबारी की घटनाएं हो रही हैं। प्रश्न उठता है कि आखिर ये कौन लोग हैं? एक समय में सबसे सुरक्षित माना जाने वाला देश आखिर बलात्कारों का देश कैसे बन गया है? सोशल मीडिया पर लगातार स्वीडन के विषय में लिखा जा रहा है।
आँकड़े बहुत कुछ कह रहे हैं। स्वीडन में वर्ष 2015 में 163,000 शरणार्थियों को शरण दी गई थी। उनमें से अधिकतर युद्ध ग्रस्त सीरिया से थे। डेली मेल में स्वीडन में लगातार हो रहे इन विस्फोटों और अपराधियों के गिरोहों पर डेविड जोंस ने कुछ कम्युनिस्ट दृष्टिकोण के साथ लिखा है। इसमें आँकड़े तो हैं ही, और यह भी बताया है कि ड्रग्स आदि के गिरोहों में श्वेत अपराधी न के बराबर हैं, और जो भी ये गिरोह हैं वे शरणार्थियों की दूसरी पीढ़ी के हैं।
टिप्पणियाँ