नई दिल्ली । वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद में पेश हुई संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) की रिपोर्ट ने बड़े खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि वक्फ बोर्ड ने पूरे देश में 58,000 से ज्यादा संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है। यही नहीं, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की 256 संरक्षित इमारतों को भी वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताया है। संसद के दोनों सदनों में इस रिपोर्ट को पेश किए जाने के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।
इतिहास से खिलवाड़ : किले, चारदीवारी और मस्जिदों पर दावे
JPC की 944 पेज की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे वक्फ बोर्ड ऐतिहासिक धरोहरों पर दावा ठोक रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ASI ने JPC को 256 संरक्षित इमारतों की सूची सौंपी है, जिन पर वक्फ बोर्ड ने अपना हक जताया है। इनमें दिल्ली की 75 इमारतें शामिल हैं, जिनमें कुतुब मीनार क्षेत्र, सुंदरवाला महल, बाराखंभा, पुराना किला, लाल बंगला, कर्नाटक का बीदर किला, कलबुर्गी स्थित गुलबर्ग किला भी शामिल हैं। इसके अलावा, प्राचीन जामा मस्जिदें, सूफी संतों की दरगाहें और गुंबदों पर भी दावा किया गया है।
रेलवे की जमीन पर भी कब्जा, जयपुर-जोधपुर स्टेशन भी लपेटे में
JPC की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि रेलवे की 2704 वर्ग मीटर जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है। जयपुर रेलवे स्टेशन की 45.9 वर्ग मीटर और जोधपुर रेलवे स्टेशन की 131.67 वर्ग मीटर जमीन को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया है। इस मामले में कई मामले अदालत में लंबित हैं।
रेल मंत्रालय ने JPC को बताया कि यदि वक्फ ट्रिब्यूनल रेलवे के खिलाफ फैसला देता है, तो रेलवे इसे उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दे सकता। रेलवे केवल पुनरीक्षण आवेदन ही दायर कर सकता है, जो केवल कानूनी त्रुटियों की जांच तक सीमित होता है। ऐसे में, वक्फ अधिनियम में संशोधन के बाद रेलवे के पास अदालत में चुनौती देने का अधिकार होगा, जिससे इस विवाद को सुलझाने में मदद मिलेगी।
JPC ने दिए अहम सुझाव, वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लग सकती है लगाम JPC ने इस रिपोर्ट में वक्फ अधिनियम में कई संशोधनों की सिफारिश की है। इसके तहत –
- वक्फ संपत्ति के निर्धारण की शक्ति अब कलेक्टर की बजाय उससे ऊपर के अधिकारी को देने की सिफारिश की गई है।
- दो गैर-मुस्लिम सदस्यों के अलावा दो गैर-मुस्लिम पदेन सदस्य (संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी) की नियुक्ति की बात कही गई है।
- यह दोनों सदस्य गैर-मुस्लिम कोटे में नहीं गिने जाएंगे, जिससे निर्णय प्रक्रिया संतुलित रहे।
रिपोर्ट पर संसद में हंगामा
JPC की रिपोर्ट पेश होने के बाद संसद में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि JPC की रिपोर्ट से विपक्ष के नोट्स हटा दिए गए हैं। उन्होंने इसे “फर्जी और असंवैधानिक रिपोर्ट” करार देते हुए इसे खारिज करने की बात कही।
वहीं, लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि “यदि किसी भी सदस्य को आपत्ति है, तो उसे संसदीय कार्यप्रणाली के तहत ठीक किया जाएगा। हमारी पार्टी को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।”
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