IAS ट्रेनी पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से संरक्षण देने के मामले में अपने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ा दिया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस को खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने पर भी अपना जबाव दाखिल करने के लिए वक्त दिया है।
शीर्ष अदालत ने आईएएस ट्रेनी को पुलिस की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। दरअसल, पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 में यूपीएएसी की परीक्षा की पात्रता को हासिल करने के लिए अपने दस्तावेजों के जरिए जालसाजी की थी।
क्या है पूरा मामला
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने विवादों में घिरी प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जुलाई 2024 में पूजा खेडकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और सिविल सेवा परीक्षा-2022 से उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं से उन्हें रोकने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।
यूपीएससी ने बयान में कहा था कि सिविल सेवा परीक्षा-2022 की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के दुर्व्यवहार की विस्तृत और गहन जांच की गई है। जांच से पता चला है कि उसने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर तथा अपनी पहचान बदलकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास किए। इसलिए यूपीएससी ने पुलिस प्राधिकारियों के पास प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करके आपराधिक अभियोजन सहित उनके खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की है और सिविल सेवा परीक्षा-2022 के नियमों के अनुसार सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने, भविष्य की परीक्षाओं, चयनों से रोकने के लिए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग (जीएडी) ने खेडकर के खिलाफ कई आरोपों पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को सौंपी थी।
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