गत 12 फरवरी को लखनऊ स्थित पीजीआई में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास जी ने अंतिम सांस ली। 87 वर्षीय महंत जी को 3 फरवरी को मस्तिष्काघात हुआ था। इसके बाद उन्हें लखनऊ पीजीआई में भर्ती कराया गया था। उन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप भी था। 13 फरवरी को उन्हें अयोध्या में जल समाधि दी गई। उनके निधन का समाचार फैलते ही समस्त सनातन जगत में शोक की लहर दौड़ गई। विशेषकर अयोध्या के निवासी उनके जाने से बड़े दुखी हुए।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘यह नश्वर संसार है, सभी को एक दिन मुक्त होना है। धार्मिक जीवन मूल्यों के प्रति संवेदनशील सद्पुरुष की मृत्यु नहीं होती। उसके द्वारा किए गए सद्कार्य उसे चिरकाल तक समाज के मस्तिष्क पर जीवंत रखते हैं। सत्येंद्र दास जी ने संत परंपरा का सदैव ध्यान रखा तथा 1992 में श्रीरामलला के अर्चक का दायित्व ग्रहण कर अपनी निष्ठा समर्पित की। उनका साकेत गमन हम सभी के लिए पीड़ादायी है।’’ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी महंत दीनेंद्र दास ने कहा, ‘‘सत्येंद्र दास जी हमारे पड़ोसी रहे, मंदिर की पूजन-व्यवस्था के प्रति वे सदैव संवेदनशील रहे। इन 30-31 वर्ष में वे हिंदू-मुस्लिम समन्वय की चर्चा के केंद्र-बिंदु बनते रहे। आज वे साकेतवासी हो गए जिसके कारण अपार दु:ख हुआ है। श्रीरामलला उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। धार्मिक अनुष्ठानों और शास्त्रों के ज्ञाता रहे महंत जी का पूरा जीवन भगवान श्रीराम की सेवा में समर्पित रहा। देश के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों एवं अनुयायियों को संबल प्रदान करें। ओम शांति!’’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्व.सत्येंद्र दास जी को श्रद्धांजलि देते हुए एक्स पर लिखा, ‘‘परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येंद्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दु:खद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोक-संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’’
विश्व हिंदू परिषद् के अंतरराष्टÑीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, ‘‘श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। उनका संपूर्ण जीवन श्री रामलला की सेवा, भक्ति और धर्म की रक्षा के प्रति समर्पित रहा। टाट के टेंट से लेकर भव्य दिव्य मंदिर तक की रामलला की कठिन व पीड़ादायी यात्रा के वे सच्चे सारथी थे। स्थिति कुछ भी रही, किंतु राम जी की सेवा, पूजा, भोग, अर्चन में वे दिन-रात लगे रहते थे। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार, भक्तों तथा अनुयायियों को इस कठिन समय में धैर्य एवं संबल प्रदान करें। ॐ शांति।’’
विहिप मीडिया के प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि आचार्य सत्येंद्र दास जी के निधन से धार्मिक जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है। 1990 के पूर्व वे मंदिर आंदोलन में सहयोगी रहे। 1990 में प्रशासन द्वारा मंदिर के मुख्य पुजारी नियुक्त होने के पश्चात् वे मंदिर व्यवस्था के अंग बनकर सेवारत हो गए।
निर्वाणी अखाड़े से संबंध रखने वाले श्री दास अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे। 6 दिसंबर, 1992 को जब बाबरी ढांचा ध्वस्त किया गया था, तब उन्हें मुख्य पुजारी के रूप में सेवा करते हुए मुश्किल से नौ महीने हुए थे। विध्वंस के बाद भी श्री दास मुख्य पुजारी के रूप में बने रहे और जब रामलला की प्रतिमा एक अस्थायी तंबू के नीचे स्थापित की गई, तब उन्होंने पूजा भी की। ऐसे रामभक्त को पाञ्चजन्य परिवार की भावभीनी श्रद्धांजलि।
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