गत 7 फरवरी को सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य श्री कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया। वे कुछ समय से अस्वस्थ थे। उनका अंतिम संस्कार 8 फरवरी को सुपौल जिले में उनके पैतृक गांव कमरैल में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, ‘‘भाजपा के वरिष्ठ नेता और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री कामेश्वर चौपाल के निधन से अत्यंत दु:ख हुआ।
वे एक अनन्य रामभक्त थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया। दलित पृष्ठभूमि से आने वाले श्री कामेश्वर चौपाल समाज के वंचित समुदायों के कल्याण के कार्यों के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति!’’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा, ‘‘विश्व हिंदू परिषद् के केंद्रीय उपाध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य एवं 9 नवंबर, 1989 को आयोजित ऐतिहासिक शिलान्यास समारोह में पूज्य संत गण की उपस्थिति में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की प्रथम शिला रखने वाले परम रामभक्त श्री कामेश्वर चौपाल का निधन अत्यंत दु:खद है। उनका पूरा जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों को समर्पित रहा। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’’
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘श्री कामेश्वर चौपाल पीढ़ियों का भाग्य लेकर आए थे। वे इतने सौभाग्यशाली थे कि संतों ने उनके करकमलों से श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए पहली ईंट रखवाई थी। बीमार रहने के बाद भी वे संगठन के लिए कार्य करते रहे थे। ऐसे समर्पित वरिष्ठ स्वयंसेवक को विश्व हिंदू परिषद के समस्त कार्यकर्ताओं की ओर से श्रद्धांजलि।’’
राम मंदिर आंदोलन में श्री चौपाल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे कारसेवा से लेकर शिलापूजन तक में सक्रिय रहे थे। विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता के नाते उन्होंने बिहार के गांव-गांव में राम मंदिर आंदोलन को पहुंचाया। नवंबर, 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए हो रहे शिलान्यास में वे विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में ही उपस्थित हुए थे। संतों ने तय किया कि शिलान्यास में प्रथम ईंट कोई दलित कार्यकर्ता रखे। इसके बाद सबकी नजर श्री कामेश्वर चौपाल पर गई और उनसे इस कार्य को संपन्न करने को कहा। इस पर वे बहुत ही भावुक हुए थे। यही कारण है कि विश्व हिंदू परिषद ने उन्हें ‘प्रथम कारसेवक’ की उपाधि दी थी।
मूल रूप से बिहार के सुपौल के रहने वाले श्री चौपाल बाद में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा ने उन्हें 2002 में बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया। उनके निधन पर बिहार भाजपा को शोक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले, पूर्व विधान पार्षद, दलित नेता, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के स्थाई सदस्य, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रहे श्री कामेश्वर चौपाल जी का निधन सामाजिक क्षति है। उन्होंने संपूर्ण जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में समर्पित किया। वे मां भारती के सच्चे लाल थे। ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके परिजनों को संबल प्रदान करें।’’ स्व. कामेश्वर चौपाल को पाञ्चजन्य परिवार की भावभीनी श्रद्धांजलि।
टिप्पणियाँ