गत दिनों पथनमथिट्टा (केरल) में चेरुकोलप्पुझा हिंदू मठ परिषद ने 113वां हिंदू एकता सम्मेलन आयोजित किया। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि हिंदुओं को अपनी ताकत के प्रति जागरूक होना चाहिए।
हिंदुओं को आत्मविस्मृति से जागना चाहिए। विजयी, एकीकृत एवं संगठित हिंदू समाज के लिए यह आवश्यक है। एक संगठित समाज जबरदस्?त सफलता के साथ सामने आएगा, यह एक सार्वभौमिक सत्य है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता से ऊपर उठकर एक शक्ति के रूप में सामने आना चाहिए।
हमें सप्ताह में कम से कम एक बार अपने घरों में धर्म और संस्कृति पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषा, भूषा (पोशाक), भजन, भोजन, भावना (घर) और भ्रमण (यात्रा) के माध्यम से धर्म की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने जल संरक्षण, पौधे लगाने, प्लास्टिक छोड़ने और पर्यावरण संरक्षण के लिए गतिविधियां शुरू करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने आत्म-विस्मृति को त्याग कर अकेले समुद्र पार किया और रावण को राम की शक्ति और सामथ्?र्य के बारे में समझाने के लिए लंका दहन किया। उसी प्रकार हिंदू समाज को भी अपनी शक्ति पहचान कर संगठित होना होगा। सत्य, दया, साहस और वीरता हमारी परंपराएं हैं।
हिंदुमाता परिषद के उपाध्यक्ष अधिवक्ता के. हरिदास ने कहा कि संघ के 100 वर्ष और परिषद के 113 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसलिए यहां मोहन जी की उपस्थिति ऐतिहासिक है। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ जन के अलावा भारी संख्या में हिंदू समाज के लोग उपस्थित थे।
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