महाकुम्भ नगर, (हि.स.)। महाकुम्भ में माघ पूर्णिमा का स्नान जारी है। बुधवार को गंगा, यमुना और अंतःसलिला सरस्वती के संगम तट पर देश-दुनिया के हर कोने से आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। प्रयागराज की सड़कें चहुंदिश श्रद्धा पथ में तब्दील हो गईं। देश-दुनिया भर से संतों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों का सागर उमड़ा तो लगभग 6 किमी लंबे संगम तट पर कहीं तिल रखने भर की जगह नहीं बची। हर हर महादेव, जय गंगा मैया के गगनभेदी जयघोष के बीच कोई हाथों में ध्वज लिए संगम की ओर दौड़ता रहा तो कोई दंड-कमंडल, मनका लिए हुए लपकते पांवों से बढ़ता रहा। श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से 25 क्विंटल फूल भी बरसाए गए।
मंगलवार रात से ही भर गये घाट
संगम तट पर माघ पूर्णिमा स्नान के लिए गंगा-यमुना के घाटों पर श्रद्धालुओं का खचाखच जमावड़ा मंगलवार रात से ही शुरू हो गया था। भीड़ प्रबंधन के चलते मेला क्षेत्र में वाहनों की आवाजा रोक दिए जाने की वजह से सड़कें हर तरफ पैदल पथ में तब्दील हो गईं। सिर पर गठरी, कंधे पर झोला हाथों में बच्चों और महिलाएं अपनों का हाथ थामे लोग संगम तट की ओर लंबे डग भरते रहे। फाफामऊ से अरैल के बीच संगम के लंबे दोनों तटों पर बने स्नान घाटों पर दो बजे रात से ही डुबकी लगनी शुरू हो गई। संगम तट की रेती पर बिछे पुआलों पर दूर-दराज से आए लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहले से स्नान की प्रतीक्षा करते-करते सो गए थे।
कल्पवास का समापन
पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ त्रिवेणी की रेत पर शुरू हुआ कल्पवास का माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ समापन हो गया। ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी में माघ पूर्णिमा की डुबकी लगाकर कल्पवासी अपने शिविर पहुंचे। कल्पवासियों ने तीर्थ पुरोहितों के सानिध्य में विधि विधान से दान और हवन का अनुष्ठान पूरा किया। तीर्थ पुरोहित अमित आलोक पाण्डेय बताते हैं कि वैसे तो शास्त्र में 84 तरह के दान का उल्लेख है, लेकिन जिसकी जो श्रद्धा होती है उसका दान तीर्थ पुरोहित स्वीकार कर लेते हैं। शैया दान, अन्न दान, वस्त्र दान और धन दान आदि का अनुष्ठान माघ पूर्णिमा को किया जाता है। किसी कारण वश अगर कोई कल्पवासी माघ पूर्णिमा को यह अनुष्ठान पूरा नहीं कर पाता है तो वह अगले दिन त्रिजटा का स्नान कर यहां से विदा हो जाता है। माघ पूर्णिमा में दस लाख से अधिक कल्पवासी महाकुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर यहां से प्रस्थान कर गए।
46 करोड़ से ज्यादा कर चुके स्नान
महाकुंभ का आज 31वां दिन है। इससे पहले 4 स्नान पर्व हो चुके हैं। मेला प्रशासन के मुताबिक, बुधवार शाम 6 बजे तक 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। 13 जनवरी से अब तक करीब 46.25 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। अब 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर आखिरी स्नान पर्व होगा। इससे पहले बसंत पंचमी के दिन करीब 2.57 करोड़ लोगों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई थी। यह स्नान महाकुम्भ के तीसरे अमृत स्नान के रूप में हुआ था। अनुमान है कि बुधवार को 2.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे।
ट्रैफिक प्लान में बदलाव
प्रयागराज जाने वाले रास्तों में जाम के बाद ट्रैफिक प्लान में बदलाव किया गया। शहर में वाहनों का प्रवेश बंद है। मेला क्षेत्र में भी कोई भी वाहन नहीं चलेगा। ऐसे में श्रद्धालुओं को संगम पहुंचने के लिए 8 से 10 किमी तक पैदल चलना पड़ रहा है। प्रशासन पार्किंग से शटल बसें चला रहा है। महाकुम्भ मेले से भीड़ जल्दी बाहर निकल जाए, इसलिए लेटे हनुमान मंदिर, अक्षयवट और डिजिटल महाकुम्भ सेंटर को बंद कर दिया गया है।
सुरक्षा के इंतजाम
संगम पर पैरामिलिट्री फोर्स के जवान तैनात हैं। वहां लोगों को रुकने नहीं दे रहे हैं, ताकि भीड़ न बढ़ पाए। ज्यादातर लोगों को बाकी घाटों पर स्नान के लिए भेजा जा रहा है। भीड़ कंट्रोल के लिए पहली बार मेले में 15 जिलों के जिलाधिकारी, 20 आईएएस और 85 पीसीएस अफसर तैनात किए गए हैं। इधर, लखनऊ में सीएम योगी सुबह 4 बजे से मुख्यमंत्री आवास पर बने वॉर रूम से महाकुंभ की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। डीजीपी प्रशांत कुमार, प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद और कई सीनियर अफसर भी हैं।
रेलवे ने 190 ट्रेनें चलाई
रेलवे की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक, बुधवार 12 फरवरी को दोपहर 3 बजे तक यात्रियों की सुविधा के लिए 190 ट्रेनें चलाई गईं। कुल 9.46 लाख से अधिक यात्रियों ने सफर किया। इससे पहले 11 फरवरी को 343 गाड़ियां चलाई गईं। 14.69 लाख से अधिक यात्रियों ने यात्रा की। अयोध्याधाम, गोरखपुर, वाराणसी और कानपुर जाने के लिये हर आधे घंटे में मेला स्पेशल ट्रेन चलायी जा रही हैं। यात्रियों की सुविधा के लिये प्रयागराज जंक्शन, प्रयाग जंक्शन और प्रयागराज के अन्य रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये हैं। रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे कर्मचारी यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा का खास ख्याल रख रहे हैं। प्लेटफार्मों पर आकस्मिक चिकित्सा की सुविधा भी उपलब्ध है।
गलती से ली सीख
उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि महाकुंभ 2025 का ये पांचवां स्नान है। महाशिवरात्रि का स्नान होना बाकी है। मौनी अमावस्या के दिन एक गलती हुई थी, उससे सीख लेते हुए हम इस पर काम कर रहे हैं कि और बेहतर प्रबंधन कैसे हो। हमने एक प्रबंधन तकनीक अपनाई, जिसका नतीजा है कि महाकुंभ में अब तक 46 से 47 करोड़ लोग आ चुके हैं। उन्होंने कहाकि, प्रयागराज के अलावा हमारा ध्यान चित्रकूट, काशी विश्वनाथ मंदिर, विंध्याचल मंदिर, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर है। हमने लखनऊ में वॉर रूम बनाया है, हमारे 2500 से ज्यादा कैमरे एक्टिव हैं, हम उन सभी से लाइव फीड ले रहे हैं।
सुरक्षित तरीके से हो रहा स्नान
प्रयागराज के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मंदार ने कहा कि माघी पूर्णिमा का स्नान कल रात से ही सुरक्षित तरीके से हो रहा है। श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं। 322 से अधिक सिविल अधिकारी और 9 हजार से अधिक बल तैनात हैं। 60 से अधिक आरएएफ कंपनियां तैनात हैं, ट्रैफिक पुलिस भारी संख्या में तैनात है। अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं, अफवाहों पर ध्यान न दें। मेला स्पेशल ट्रेन और अन्य ट्रेनें सामान्य रूप से चल रही हैं। यह एक ऐतिहासिक अवसर है। मुख्यमंत्री और प्रशासन के निर्देश पर हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि लोगों को कोई परेशानी न हो। पिछले कुछ दिनों में जो ट्रैफिक जाम की समस्या थी, उसके लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है।
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