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चुनौतियों के साथ मौके भी

वैश्विक बाजार में अगर भारतीय कंपनियों के समक्ष चुनौतियां हैं, तो अवसर भी हैं। बजट में कई घोषणाएं की गई हैं, जो न केवल व्यापार को आसान और प्रभावी बनाएंगी, बल्कि एमएसएमई को हर तरह की सुविधा भी प्रदान करेंगी

by आलोक पुराणिक
Feb 12, 2025, 01:06 pm IST
in भारत, विश्लेषण, मत अभिमत
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हाल के वर्षों में वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद और भू-राजनीतिक तनाव ने निर्यात पर गहरा प्रभाव डाला है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और टैरिफ वार के बीच भारत के लिए निर्यात बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन प्रभावी नीतियों और उपायों से इसे संभव बनाया जा सकता है। इसमें एमएसएमई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस दिशा में बजट 2025 एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।

आलोक पुराणिक
अर्थशास्त्री

अमेरिका और चीन का व्यापार युद्ध बाकायदा शुरू हो गया है। अमेरिका ने चीन से होने वाले आयात पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। इसके बाद चीन भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगा रहा है। चीन ने कोयला तथा तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) उत्पादों पर 15 प्रतिशत, कच्चे तेल, कृषि मशीनरी और बड़ी कारों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की बात कही है। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर भी 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाकर एक तरह से इन देशों को धमकाया था, पर बातचीत के बाद फिलहाल यह आयात शुल्क स्थगित हो गया है। भारत फिलहाल इस युद्ध में अभी अमेरिका के निशाने पर नहीं है। लेकिन उसे अपनी तैयारियां रखनी होंगी।

दूसरी बात, अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख बाजारों की धीमी आर्थिक विकास भी भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकता है। इन देशों में मंदी से भारतीय उत्पादों की मांग कम हो सकती है। टैरिफ वार के कारण भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो गई है। इससे भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ सकती है, जिससे उनका लाभ प्रभावित होगा। इसलिए भारत को अपने निर्यात बाजार में विविधता लाने की आवश्यकता है। यदि प्रमुख बाजारों में मांग घटती है, तो नए बाजारों की पहचान कर उसमें प्रवेश करना होगा। साथ ही, नई तकनीकों का उपयोग कर उत्पादन प्रक्रिया को बेहतर बनाना और लागत को कम करना होगा। हालांकि, यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही रणनीति से इसे संभव बनाया जा सकता है।

निर्यात बढ़ाने के कारगर उपाय

बजट में एमएसएमई व निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की गई है, जैसे भारत ट्रेडनेट की शुरुआत, शुल्क मुक्त प्रोत्साहन और एमएसएमई के लिए टर्म-लोन। आसान ऋण, ब्याज दरों में छूट, बेहतर बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक जैसे कदम निर्यातकों को समर्थन देने और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। 2,250 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन की भी घोषणा की गई है। यह मिशन निर्यातकों की वित्तीय और दूसरे किस्म की मदद करेगा। भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिका का बाजार महत्वपूर्ण है, पर अब भारतीय निर्यातकों को पूरी मजबूती के साथ नए अवसरों की तलाश करनी होगी। भारत से विदेशों में होने वाले कुल निर्यात में एमएसएमई का लगभग 48 प्रतिशत योगदान है। ये छोटे उद्योग वस्त्र, चमड़ा, हैंडक्राफ्ट और खाद्य जैसे उत्पाद बनाते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी हैं। भारत का मौजूदा निर्यात प्रतिशत 2024-25 में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 393.22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा है कि भूमंडलीकरण अब अतीत की बात हो सकती है। अमेरिका अपने बाजार में बाहरी साज-सामान का प्रवेश मुश्किल और महंगा बना सकता है। वह भारत से मांग कर सकता है कि अमेरिका से भारत आने वाले साज-सामान पर आयात शुल्क कम करे। हालांकि, बजट में कुछ-कुछ अमेरिकी आकांक्षाएं पूरी होती दिख रही हैं। जैसे-1600 सीसी इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिल के आयात पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत। वहीं 1600 सीसी से अधिक की क्षमता वाली मोटरसाइकिल पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। अमेरिकी ब्रांड की मोटरसाइकिल हार्ले डेविडसन को इसका लाभ मिलेगा।

नए अवसरों की पहचान आवश्यक

भारत के पास तमाम नए मौके हैं, उन्हें बेहतर तरीके से भुनाया जा सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 1994 से 2022 के बीच भारत ने कई नए क्षेत्रों में काम किया है। भारत अब दुनिया भर में पानी के जहाज बनाकर निर्यात करता है। पानी के जहाज के विश्व बाजार में भारत का हिस्सा लगभग 33 प्रतिशत है। पानी के जहाज निर्माण का काम ऐसा है कि जिसमें मांग लगातार बनी रहती है। भारत तो बहुत ही पुराने वक्त से जहाज निर्माण के मामले में अपनी क्षमताओं को प्रमाणित करता रहा है। इसी तरह, भारत का कपड़ा निर्यात हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, कपड़ा और परिधान कारोबार भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 2.3 प्रतिशत के बराबर योगदान करता है। इसका कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग 13 प्रतिशत और निर्यात में लगभग 12 प्रतिशत का योगदान है। 2023 में भारत ने लगभग 34 अरब डॉलर के कपड़े से जुड़े उत्पादों का निर्यात किया। इसमें अभी बेहतरी की गुंजाइश है। अभी कपड़ा बाजार में वियतनाम और बांग्लादेश भारत को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। तैयार परिधानों के वैश्विक बाजार में भारत का हिस्सा लगभग 2.8 प्रतिशत था, जबकि चीन का लगभग 30 प्रतिशत, बांग्लादेश का 9 प्रतिशत और वियतनाम का हिस्सा लगभग 7 प्रतिशत था।

अभी बांग्लादेश की स्थिति डावांडोल है। भारत को इसका लाभ उठाकर अपने लिए नए अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। यूरोप और अमेरिका निश्चय ही बेहतर बाजार हैं, पर समग्र दुनिया के बाजारों की तरफ देखकर भारतीय निर्यातक बेहतर अवसर पैदा कर सकते हैं। तकनीक के स्तर पर बांग्लादेश के पास ऐसा क्या है कि वह कपड़ों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, इस सवाल का जवाब तलाशा जाना चाहिए। भारत के पास तकनीक है, क्षमताएं हैं तो नए मौकों की तलाश को अब टालना नहीं चाहिए। इसके अलावा, अप्रैल-दिसंबर 2024 के बीच गैर पेट्रोलियम निर्यात 7.1 प्रतिशत और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात 28.6 प्रतिशत बढ़ा। भारत अब मोबाइल का बड़ा निर्यातक बनकर उभर रहा है।

एप्पल कंपनी भारत में मोबाइल बनाकर निर्यात कर रही है। अगर एप्पल कंपनी भारत में उत्पादित मोबाइल फोन को संतोषजनक मान सकती है, तो फिर पूरी दुनिया की मोबाइल कंपनियां भारत को अपना मूल निर्माण केंद्र बना सकती हैं। इस संबंध में और प्रयास लगातार किए जाने चाहिए। भारत हथियारों के बाजार में भी निर्यातक के तौर पर उभर रहा है। भारत की ब्राह्मोस मिसाइल को कई खरीदार मिले हैं। भारत कई छोटे देशों को अपने हथियार बेच सकता है, क्योंकि भारतीय हथियार अमेरिकी और यूरोपीय हथियारों के मुकाबले तो सस्ते ही होंगे। इस तरह के कदमों से अमेरिका सहित तमाम देशों को साफ संदेश जा सकता है कि भारत को धमका कर कोई परिणाम हासिल नहीं किए जा सकते।

अमेरिका और चीन के बीच के व्यापार युद्ध के बाद चीन की आर्थिक स्थिति के पहले के मुकाबले कमजोर होने के आसार हैं। अमेरिका के साथ दिक्कत यह है कि वह जिन ताकतों को प्रश्रय देता है, वही ताकतें उसके हितों पर चोट करती हैं। पाकिस्तान का ही उदाहरण लें, अमेरिका हर तरह से पाकिस्तान की मदद करता रहा। उसे अरबों डॉलर की आर्थिक सहायता दी, लेकिन पाकिस्तान ने क्या किया? उसने अमेरिका पर भीषण आतंकी हमला करने वाले आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाला-पोसा। इसी तरह, अमेरिकी बाजारों की पहुंच के चलते ही चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। इसलिए अमेरिकी नीतियों के प्रति भारत को सावधान रहना होगा। ल्ल

बजट में खास क्या?

निर्यात संवर्धन मिशन : इस मिशन का उद्देश्य भारतीय निर्यात को बढ़ावा देना और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है, ताकि निर्यात बढ़ाया जा सके। इसके लिए बजट में 2,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो निर्यातकों को आसान और सस्ते ऋण से लेकर सीमा पार ‘फैक्टरिंग’ सुविधाएं, विदेशी बाजारों में एमएसएमई की पहुंच और दूसरे देशों द्वारा लगाए गए गैर-शुल्क उपायों सहित विभिन्न चुनौतियों से निपटने में सहायता प्रदान करेगा। साथ ही, विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय को बढ़ावा देगा और निर्यात संबंधी नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करेगा। इस मिशन को वाणिज्य, एमएसएमई और वित्त मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा।

भारत ट्रेड नेट : यह एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सरल, प्रभावी और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है। यह एक एकीकृत मंच के रूप में कार्य करेगा, जो व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तपोषण समाधानों को एक स्थान पर उपलब्ध कराएगा। यानी यह निर्यातकों और व्यापारियों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से आसानी से दस्तावेजों का सत्यापन किया जा सकेगा, जिससे व्यापारियों को समय और संसाधनों की बचत होगी। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार होगा, जो सीमा पार लॉजिस्टिक्स और सीमा शुल्क निकासी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगी, जिससे निर्यातकों को अधिक सुविधा मिलेगी।

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