दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति सैम नुजोमा की मृत्यु हो गई है। उन्होंने 95 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली। सैम नुजोमा ने ही वर्ष 1990 में दक्षिण अफ्रीका की गुलामी से नामीबिया को आजादी दिलाई थी। वे उग्र स्वभाव वाले स्वतंत्रतका सेनानी माने जाते थे।
नुजोमा लंबे वक्त से बिमार थे और देश की राजधानी विंडहोएक के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वहीं पर उन्होंने शनिवार की रात को अंतिम सांस ली। इस बात की पुष्टि मौजूदा राष्ट्रपति नांगोलो म्बुम्बा ने की है।
रिपोर्ट के अनुसार, सैम नुजोमा नामीबिया के करिश्माई नेता के तौर पर प्रसिद्ध थे। कहा जाता है कि एक लंबे अरसे तक जर्मनी का गुलाम और फिर दक्षिण अफ्रीका की गुलामी के बाद भी सैम नुजोमा ने लंबी लड़ाई के बाद अपने देश को अग्रसर किया। जिस प्रकार से भारत में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जाता है, उसी तरह से नुजोमा को नामीबिया का राष्ट्रपिता कहा जाता है। नुजोमा के बारे में कहा जाता है कि अफ्रीकी नेताओं की पहली पीढ़ी के व्यक्ति थे, जिसने अपने देश को श्वेतों की गुलामी और रंगभेद से बाहर निकाला।
इन्हीं नेताओं में दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला, जॉम्बिया के केनेथ कोंडा, रॉबर्ट मुगाबे और समोरा मचेल का भी नाम आता है। नुजोमा की प्रशंसा उनके विरोधी भी करते थे। हालांकि, उन्हें मार्क्सवादी माना जाता था। नुजोमा पश्चिमी देशों के प्रखर विरोधी थे। वो अक्सर पश्चिमी देशों के खिलाफ बयानबाजी करते रहते थे, जिसको लेकर वे अक्सर समाचार पत्रों की सुर्खियां बने रहते थे।
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