विश्लेषण

भ्रष्टाचार, झूठे वादों के कारण डूबी ‘AAP’ की नैया

भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए आंदोलन की बुनियाद पर अपनी पार्टी खड़ी करने वाले अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार में ऐसा कोई विभाग नहीं है, जहां उनका और उनके नेताओं का नाम भ्रष्टाचार के मामलों में न आया हो।

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सुनीता मिश्रा

किसी समय भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए आंदोलन की बुनियाद पर अपनी पार्टी खड़ी करने वाले अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से बुरी तरह हार गए हैं। प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को 3000 से ज्‍यादा वोटों से हराया है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वे अपने विरोधियों पर बिना आधार के आरोप लगाते रहे हैं। इसके चलते कई बार उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी है, जिससे उनकी छवि को काफी नुकसान हुआ है। लोगों को उनकी बातों पर भरोसा करना मुश्किल होता गया। उन्होंने हरियाणा सरकार पर जानबूझकर दिल्ली को जहरीला पानी भेजने का आरोप लगाकर सबसे बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। यही नहीं विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आआपा के मुखिया एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता से झूठे वादे करते और उन्हें बरगलाने का हरसंभव प्रयास करते नजर आए।

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे

राजनीति में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा था कि वे सरकारी सुविधाओं का उपयोग नहीं करेंगे, लेकिन दिल्ली सरकार में ऐसा कोई विभाग नहीं है, जहां उनका और उनके नेताओं का नाम भ्रष्टाचार के मामलों में न आया हो। चाहे 28,000 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हो, मोहल्ला क्लीनिक में 65,000 करोड़ रुपये फर्जी टेस्ट की बात हो या 300 करोड़ रुपये की नकली दवाइयों का घोटाला और शीशमहल घोटाला हो। केजरीवाल ने न केवल आम लोगों को भ्रमित किया, बल्कि उनका भरोसा भी तोड़ा है। भ्रष्टाचार के मामलों में केजरीवाल और उनके दिग्गज मंत्री मनीष सिसोदिया व सत्येंद्र जैन जेल भी जा चुके हैं। वर्ष 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत में 208 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल कर अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके अलावा, मुख्यमंत्री आवास में पार्टी की सांसद स्वाती मालीवाल से केजरीवाल के निजी सचिव द्वारा की गई मारपीट के कारण भी पार्टी सुर्खियों में रही। भले ही चुनाव से पहले सभी नेताओं को जमानत मिल गई, लेकिन दिल्ली की जनता का विश्वास उन पर पहले से कम हुआ।

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बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाने का आरोप

इसी तरह, AAP पर दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाने का भी आरोप है। भाजपा ने आआपा पर स्कूलों और कक्षाओं के आधुनिकीकरण के नाम पर 1300 करोड़ रुपये का घोटाला, व्यावसायिक टैक्सियों, बस में पैनिक बटन लगाने के नाम पर और राशन कार्ड के नाम पर भी घोटाला करने का आरोप लगाया है। भाजपा के मुताबिक, केजरीवाल ने कहा था कि गली-गली में 10-15 लाख सीसीटीवी लगाए जाएंगे, लेकिन इतने तो लगे नहीं और जो लगे, उनमें भी आधे से अधिक सीसीटीवी बंद पड़े हैं। इसी तरह, उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त वाई-फाई देने का वादा किया था, लेकिन यह भी दूर की कौड़ी दिखती है। एमसीडी की सत्ता में आने से पहले केजरीवाल ने दावा किया था कि एक साल में ही तीनों कूड़े के पहाड़ को खत्म कर देंगे, लेकिन दो साल बाद भी कूड़े के पहाड़ जस के तस हैं। इसी तरह, दिल्ली को झीलों का शहर तो नहीं बना सके, लेकिन बरसात में दिल्ली की सड़कें झील जरूर बन जाती हैं। वे सभी को स्वच्छ जल भी उपलब्ध नहीं करा पाए। नल से गंदे पानी की आपूर्ति, खस्ताहाल सड़कें, बसों की किल्लत और महिलाओं की सुरक्षा में चूक तो आम बात है। यहां तक कि केजरीवाल पानी और बिजली के बिलों की विसंगतियों से भी दिल्लीवासियों को छुटकारा नहीं दिला सके। एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी की ही सरकार थी, इसलिए पार्टी के पास कोई बहाना नहीं था। इससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी।

खैर, आम आदमी पार्टी ने मुफ्त सुविधाओं की शुरुआत करके जनता का समर्थन पाया था, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी से जनता परेशान हो गई थी। यही कारण है कि जनता ने अपने और अपने बच्चों के बेहतर ​भविष्य के लिए दूसरी पार्टी को ही मौका देना उचित समझा। इस हार से केजरीवाल को सबक लेना होगा कि आखिर उन्होंने जनता से झूठे वादे क्यों किए? वे 12 साल दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहे। जनता ने उन्होंने एक नहीं, तीन मौके दिए, फिर भी वे न तो उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा कर पाए और न ही उनके भरोसे को कायम कर पाए।

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