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अब ICC पर चला Donald Trump का चाबुक, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अधिकारियों की America में एंट्री बैन

प्रतिबंध लगने के ​बाद, अब अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का कोई अधिकारी अमेरिका में कदम नहीं रख पाएगा। साथ ही, वित्तीय प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के निर्बाध संचालन पर गंभीर असर डाल सकते हैं

Published by
Alok Goswami

अमेरिका की ओर से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई पहली बार नहीं की गई है। ट्रंप जग पिछले बार राष्ट्रपति के पद पर था, तब 2020 में अमेरिका ने न्यायालय के न्यायवादी और उनके एक सीनियर साथी पर प्रतिबंध लगाया था। तब अफ़गानिस्तान में अमेरिकी सेना के ‘युद्ध अपराधों’ पर न्यायालय ने जांच की कार्रवाई की थी। इससे तत्कालीन ट्रंप सरकार नाराज थी।



अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक और चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को अमेरिका में बैन कर दिया है। ट्रंप ने इस फैसले को लागू करने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि साल 2002 में युद्ध अपराधों, मानवता विरोधी अपराधों, नरसंहारों तथा आक्रामकता दिखाने वाले लोगों को दोषी ठहराने को लेकर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय स्थापित किया गया था। लेकिन अब अमेरिका में इस पर प्रतिबंध लग गया है।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) पर लगाए गए इस प्रतिबंध के बारे में राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के एक अधिकारी का कहना है कि ICC पर ये प्रतिबंध उसके अमेरिकी लोगों तथा देश के सहयोगियों की जांच करने के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए लगाए हैं। प्रतिबंध लगने के ​बाद, अब अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का कोई अधिकारी अमेरिका में कदम नहीं रख पाएगा।

इस संबंध में ट्रंप का कार्यकारी आदेश इस न्यायालय के क्रियाकलापों पर तीखी टिप्पणी करते हुए इसके भविष्य में एक खतरनाक उदाहरण बनने की संभावना जताता हैं। ट्रंप के आदेश ने न्यायालय के अधिकारियों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर वित्तीय तथा वीसा प्रतिबंध भी लगाए हैं। अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, ये वे लोग हैं अमेरिका के नागरिकों या देश के सहयोगियों से जुड़ी इस न्यायालय की जांच में मदद करते देखे गए हैं।

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हाल ही में डेमोक्रेट्स सांसदों ने संसद में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर प्रतिबंध लगाने की रिपब्लिकन सरकार के कदम पर रोकने की मांग उठाई थी। रिपब्लिकन सरकार इस न्यायालय द्वारा इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और तत्कालीन रक्षा मंत्री के विरुद्ध गिरफ्तारी का वारंट जारी करने के विरुद्ध थी। न्यायालय ने इस्राएल पर गाजा में की जा रहीं सैन्य कार्रवाइयों में उनकी ‘संलिप्तता’ को ‘अपराध’ माना था।

दरअसल अमेरिका की ओर से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई पहली बार नहीं की गई है। ट्रंप जग पिछले बार राष्ट्रपति के पद पर था, तब 2020 में अमेरिका ने न्यायालय के न्यायवादी और उनके एक सीनियर साथी पर प्रतिबंध लगाया था। तब अफ़गानिस्तान में अमेरिकी सेना के ‘युद्ध अपराधों’ पर न्यायालय ने जांच की कार्रवाई की थी। इससे तत्कालीन ट्रंप सरकार नाराज थी।

अमेरिका के इस ताजे प्रतिबंध के बाद आईसीसी ने हालांकि अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन सुनने में आया है कि न्यायालय की ओर से कुछ कदम जरूर उठाए गए हैं। इसमें कर्मचारियों को एडवासं में भुगतान किया गया है, जिससे उन पर अमेरिका के प्रतिबंधों का खास असर न हो। माना जा रहा है कि वित्तीय प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के निर्बाध संचालन पर गंभीर असर डाल सकते हैं।

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