Two actresses arrested in Bangladesh : बांग्लादेश अब असहिष्णुता और महिलाओं के प्रति क्रूरता और उत्पीड़न का नया इतिहास लिखने जा रहा है। हाल ही में बांग्लादेश में महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को खेल के मैदान में कट्टरपंथी लोगों ने जाने ही नहीं दिया था। इस वजह से मैच रद्द हो गए थे।
अब इससे एक और कदम आगे बढ़ते हुए, मोहम्मद यूनुस की सरकार ने दो अभिनेत्रियों को गिरफ्तार करवा दिया है। ऐसा क्या है जिसके कारण यूनुस सरकार इतना डर गई है कि वह महिलाओं को घर पर बैठने के लिए विवश कर रही है। बांग्लादेश में शेख हसीना पर यह आरोप लगाया गया था कि शेख हसीना सरकार के खिलाफ बोलने वालों की आवाज को दबा रही हैं। यदि वह फासीवाद था, तो फिर यह क्या है जो मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में वहां की महिलाओं के साथ हो रहा है।
कट्टरपंथ इस हद तक हावी है कि बांग्लादेश में ढाका यूनिवर्सिटी में हिजाब डे तक मनाया गया। ऐसा लग रहा है कि जैसे महिलाओं को परदे के पीछे ही भेजने का यह चरणबद्ध क्रम है। अब बांग्लादेश में दो अभिनेत्रियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन दोनों में से एक अभिनेत्री मेहर अफ़रोज शॉन मोहम्मद यूनुस की सरकार की नीतियों के विरुद्ध मुखर रहती हैं।
मेहर को राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया है। मेहर के पिता और जमालपुर जिला अवामी लीग के पूर्व सलाहकार मोहम्मद अली के घर पर इससे पहले गुरुवार को तोड़फोड़ की गई और उनके घर को आग के हवाले कर दिया गया। हालांकि अब दोनों ही अभिनेत्रियों को छोड़ दिया गया है, मगर उन्हें किन आरोपों के चलते इस सीमा तक पूछताछ का सामना करना पड़ा, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। मेहर के अभिभावक अवामी लीग से जुड़े रहे हैं। उनके पिता ने पिछले चुनावों में जमालपुर सदर सीट पर टिकट के लिए चुनाव लड़ा था, मगर उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। लेकिन उनकी मां ताहुरा अली 1996 से आरक्षित सीट से अवामी लीग की सांसद थीं।
प्रमुख अभिनेत्री हैं मेहर
मेहर बांग्लादेश की एक प्रमुख अभिनेत्री हैं। वह निर्देशक और गायिका भी हैं। उन्होंने फिल्म कृष्णोपोक्खो (2016) में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का बांग्लादेश राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। वह दिवंगत लेखक और निर्देशक हुमायूं अहमद की पत्नी भी थीं। वह यूनुस सरकार की नीतियों की मुखालफत किया करती थीं, इसलिए उन्हें राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था। उन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद एक और अभिनेत्री सोहाना सबा को भी ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस की डेटेक्टिव ब्रांच ने रात में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।
हिरासत में लेने की ये है वजह
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार पुलिस ने कहा कि दोनों ही एक्ट्रेस को पूछताछ के बाद उनके परिवार को सौंप दिया गया। मेहर का नाम उन लोगों में शामिल था, जिन्होनें कोलकता के होटल पार्क में 15 जनवरी को एक बैठक में हिस्सा लिया था। इसके बाद वे खुफिया एजेंसी के निशाने पर आ गई थीं। वहीं सोहाना सबा अवामी लीग का समर्थन करने वाले कलाकारों के व्हाट्स एप समूह “alo asbei” की सक्रिय सदस्य हैं। उनपर राज्य के विरोध में षड्यन्त्र रचने का आरोप लगाया गया। इन दोनों ही अभिनेत्रियों की गिरफ़्तारी को लेकर बांग्लादेश में गुस्सा था। मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना की जा रही थी। सोशल मीडिया पर भी इस कदम का विरोध किया जा रहा था।
क्या विरोधियों को डरा रही यूनुस सरकार
पुलिस के अनुसार दोनों अभिनेत्रियों को उनके परिवारों को सौंप दिया है, मगर फिर भी महज सरकार का विरोध करने पर राजद्रोह का आरोप लगाना कहां तक जायज है? क्या सरकार का विरोध करना देश का विरोध करना होता है? और क्या यह यूनुस का अपने विरोधियों को डराने का एक कदम है या फिर महिलाओं को चरणबद्ध तरीके से कैद करने का? जो भी कारण होगा, समय के साथ सामने आएगा ही, मगर यह सच है कि बांग्लादेश अब असहिष्णुता एवं कट्टरपंथ की ऐसी राह पर चल पड़ा है, जहां पर स्वतंत्र महिलाओं के लिए अंधेरा ही अंधेरा है।
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