कानपुर (हि.स.) । देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपनी कर्मभूमि कानपुर के दौरे पर शुक्रवार को एक कार्यक्रम में वन नेशन वन इलेक्शन पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सरकार का समय तो पांच साल का होता है लेकिन जनता के लिए असली काम करने का समय साढ़े तीन साल ही निकाल पाती है। यह जनता के हित में न्यायोचित नहीं है। बार—बार चुनाव होने से शिक्षा तो प्रभावित होती ही है, प्रशासनिक अमला भी जनता के हितों को सही तरीके से ख्याल नहीं रख पाता। इसको देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में एक साथ चुनाव की पहल की और हाई लेवल कमेटी ने भी सहमति दे दी है। देश में एक साथ चुनाव होने से काफी बदलाव देश में देखने को मिलेंगे और विकास की गति भी तेजी से बढ़ेगी।
पूर्व राष्ट्रपति स्वरूप नगर स्थित आरके देवी मेमोरियल ट्रस्ट आई हॉस्पिटल के नये भवन का उद्घाटन करने के लिए बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि देश में मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। इसलिए सरकारी और प्राइवेट स्वास्थ्य सेवाओं के बीच पीपीटी मॉडल को बढ़ावा देने की जरूरत है।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि 1967 तक लोकसभा विधानसभा के चुनाव साथ-साथ हुआ करते थे। कांग्रेस ने अपने हित के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया। इसके बाद 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से इस पर चर्चा की और एक हाई लेवल कमेटी बनाई गई। उस कमेटी ने भी सहमति जताई कि एक देश एक चुनाव होने से काफी बदलाव देश में देखने को मिलेंगे और विकास गति में भी तेजी से बढ़ोतरी होगी। यही नहीं चुनाव आयोग और नीति आयोग ने भी अपनी—अपनी रिपोर्ट सौंपी है। सभी ने एक देश एक चुनाव का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि अलग—अलग चुनाव होने से देश को आर्थिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही पूरी सरकारी मशीनरी का भी नुकसान होता है। इससे जनता के हितों में सरकारी मशीनरी समय से निर्णय नहीं ले पाती जो विकास में बाधा बनती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति को रिपोर्ट सौंप दी गई है और देश में एक साथ चुनाव कब होंगे, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
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