झारखण्‍ड

सरस्वती प्रतिमा का विसर्जन करने जा रहे हिंदुओं पर हुई पत्थरबाजी

Published by
रितेश कश्यप

झारखंड में कहीं भी हिंदुओं का त्योहार हो और कट्टरपंथियों को तकलीफ न हो, ऐसा कभी हो सकता है क्या? हर वर्ष हिंदुओं के त्योहार या शोभायात्रा के दौरान राज्य में कहीं न कहीं पत्थरबाजी होती ही है। उपद्रवियों को प्रशासन का डर बिल्कुल नहीं है।

सरस्वती पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन के दौरान रामगढ़, रांची, हजारीबाग, खूंटी और धनबाद में जिहादी तत्वों ने हिंदुओं पर हमले किए हैं। पहले रामगढ़ की बात। इस जिले के गोला थाना क्षेत्र के सोसोकलां गांव में सरस्वती मां की प्रतिमा का विसर्जन जुलूस निकाला जा रहा था, लेकिन कुछ जिहादियों को यह रास नहीं आया। उन्होंने जुलूस पर पत्थरबाजी कर दी। इस दौरान दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को स्थानीय उपचार केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद रांची के रिम्स में भेज दिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार उक्त गांव के केवट टोला में स्थापित प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था। इसी क्रम में शमीम खान के घर के समीप मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पहले से तय रास्ते से प्रतिमा को पार करने का विरोध किया। इसी बीच बगल की चहारदीवारी से पत्थरबाजी होने लगी। इस कारण जगेश्वर चौधरी, सौम्या कुमारी सहित कई लोग घायल हो गए। इनमें से 2 लोगों को गंभीर चोटें लगीं। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची और स्थिति को काबू में करते हुए मूर्ति का विसर्जन कराया, लेकिन कोई मामला दर्ज नहीं किया। जन दबाव के बाद मामला दर्ज किया गया। हिंदू पक्ष ने जो आवेदन दिया है, उसमें हमला करने वाले 25 व्यक्तियों के नाम भी दिए गए हैं।

आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी हो नहीं तो होगा आंदोलन : बाबूलाल

इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार की तुष्टिकरण की नीति की वजह से प्रशासन मजहबी उपद्रवियों पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। उन्होंने कुछ वर्ष पहले बरही के 17 वर्षीय रूपेश पांडे हत्याकांड का भी जिक्र किया, जिसकी सरस्वती विसर्जन जुलूस के दौरान ही मुससलमानों द्वारा हत्या कर दी गई थी। उन्होंने अंत में कहा कि प्रशासन जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी करे, नहीं तो जनता मजबूरन आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।

दूसरी घटना भी रामगढ़ जिले की ही है। यहां बरकाकाना ओपी अंतर्गत अंबटांड़ में सरस्वती माता की प्रतिमा का विसर्जन जुलूस निकला था। इस दौरान मुस्लिम टोले में जुलूस को रोक कर रास्ता बदलने की बात कही गई। इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने विसर्जन तो करा दिया, लेकिन फिर एक बार मामला दर्ज नहीं किया।

स्थानीय निवासी कुश श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदुओं का कोई भी पर्व शांति से नहीं मन पा रहा है। इसका मुख्य कारण है राज्य सरकार की तुष्टीकरण नीति।

तीसरी घटना खूंटी जिले की है। यहां 2 फरवरी को खूंटी थाना क्षेत्र की मुरही पंचायत अंतर्गत बड़ाबारु गांव में सरस्वती पूजा के आयोजन को लेकर दो गुटों में विवाद हो गया और फिर हिंसक झड़प हो गई। इसकी सूचना मिलते ही खूंटी थाना प्रभारी मोहन कुमार दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे और लोगों को शांत कराने की कोशिश की। लेकिन, पुलिस के सामने ही दोनों गुटों के बीच जमकर मारपीट हुई।
चौथी घटना साहिबगंज और पाँचवीं घटना पाकुड़ की है। साहिबगंज के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के छोटी कोदरजन्ना में मां सरस्वती की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान मुसलमानों द्वारा विवाद कर दिया गया। यहां भी दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई। वहीं दूसरी ओर पाकुड़ जिले में तो हद ही पार कर दी गई। यहां पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान सड़क पर प्रतिबंधित मांस का टुकड़ा पाए जाने के बाद जमकर हंगामा हुआ। बताया गया कि हिरणपुर से युवकों की टोली मां सरस्वती की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए जा रहे थे। इस दौरान ग्रामीणों ने सड़क पर प्रतिबंधित मांस का टुकड़ा देखा। इसके बाद सैकड़ों की संख्या में आक्रोशित ग्रामीणों ने कार्रवाई की मांग करते हुए सड़क जाम कर दिया।

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