तमिलनाडु के तिरुपरनकुंद्रम स्थित श्री सुब्रमण्य स्वामी मंदिर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस्लामी समूहों द्वारा हिन्दू मंदिर से जुड़े तिरुपरनकुंद्रम पर्वत पर अधिकार जताने, पूजा-अर्चना के लिए समान अधिकारों की मांग और सिकंदर दरगाह में मांसाहार जैसी गतिविधियों के कारण हिंदू निष्ठ संगठनों में आक्रोश बढ़ गया है।
इस विवाद के खिलाफ हिंदू मुन्नानी ने 4 फरवरी को तिरुपरनकुंद्रम बचाओ आंदोलन का ऐलान किया, जिसे रोकने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी। मद्रास हाईकोर्ट ने हिंदू मुन्नानी को विरोध प्रदर्शन की अनुमति दे दी, जिसके बाद हजारों हिंदुओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया और मंदिर क्षेत्र में धार्मिक नारे गूंज उठे।
इस्लामिक दावे से बढ़ा विवाद
तिरुपरनकुंद्रम पर्वत पर स्थित श्री सुब्रमण्य स्वामी मंदिर भगवान मुरुगन के छह प्रमुख धामों में से एक है। हिंदू समाज इसे अत्यंत पवित्र मानता है, लेकिन मुस्लिम संगठन यहां स्थित सिकंदर दरगाह के आधार पर इस पूरे क्षेत्र पर अपने मजहबी अधिकार का दावा कर रहे हैं। वे इस स्थान को सिकंदर मलई कहकर प्रचारित कर रहे हैं।
पिछले एक महीने में मुस्लिम समूहों द्वारा लगातार इस क्षेत्र में मजहबी गतिविधियां बढ़ाने की कोशिशें की गईं। 27 दिसंबर 2024 को राजापलायम के सैयद अबू ताहिर अपने परिवार और एसडीपीआई कार्यकर्ताओं के साथ पवित्र तिरुपरनकुंद्रम पर्वत पर बकरे और मुर्गे की कुर्बानी के लिए चढ़ने का प्रयास किया। जब मंदिर प्रशासन ने उन्हें रोका, तो एसडीपीआई और जमात समूहों के रूप में उपस्थित कट्टरपंथियों ने इसका विरोध कर उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया।
प्रदर्शन की आड़ में हिन्दुओं को भड़काने की कोशिश
5 जनवरी 2025 को एसडीपीआई और जमात समूहों ने तिरुपरनकुंद्रम पर्वत के नीचे प्रदर्शन कर मुस्लिमों को वहां नमाज पढ़ने और पूजा करने की अनुमति देने की मांग की। इस दौरान इस्लामिक प्रदर्शनकारियों ने धमकी दी कि यदि अनुमति नहीं दी गई तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे।
इसके बाद 17 जनवरी को स्थानीय मुस्लिम संगठनों ने सिकंदर दरगाह में बराबरी भोज के आयोजन की घोषणा की, जिसमें बकरे और चिकन के मांस से बने व्यंजन परोसे जाने थे। सोशल मीडिया पर इस आयोजन का प्रचार होने के बाद हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया और पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी।
पवित्र धार्मिक स्थल पर मांसाहार
22 जनवरी को भारतीय संघ मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सांसद नवाज गनी के सहयोगियों ने तिरुपरनकुंद्रम मंदिर क्षेत्र में मांसाहार किया। जब इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, तो हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया। भाजपा नेता के. अन्नामलाई ने इसे “सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश” करार दिया।
जैन गुफा का इस्लामिकरण करने की कोशिश
वहीं 3 फरवरी को अज्ञात मुस्लिम युवकों ने तिरुपरनकुंद्रम पर्वत स्थित प्राचीन जैन गुफा के पास हरे रंग का स्प्रे कर दिया। यह गुफा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है। घटना की जानकारी मिलने के बाद एएसआई अधिकारियों ने पेंट हटाया और पुलिस ने मामला दर्ज किया।
तुष्टिकरण के चलते हिंदू विरोध प्रदर्शन रोकने की कोशिश
27 जनवरी को डीएमके, आईयूएमएल, कम्युनिस्ट पार्टियों, विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके), एमडीएमके, एआईएडीएमके और चर्च समूहों के प्रतिनिधियों ने मदुरै जिला कलेक्टर से मुलाकात कर मुस्लिमों को समान पूजा-अधिकार देने की मांग की। 3 फरवरी को डीएमके सरकार समर्थित धार्मिक सद्भाव संगठन ने मदुरै कलेक्टर को ज्ञापन देकर हिंदू मुन्नानी के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने की अपील की। इसके बाद प्रशासन ने 3 और 4 फरवरी को धारा 144 लागू कर दी।
हाईकोर्ट से मिली हिन्दुओं को प्रदर्शन की अनुमति
मद्रास हाईकोर्ट ने हिंदू मुन्नानी को प्रदर्शन की अनुमति दे दी, जिसके बाद 4 फरवरी को हजारों हिंदू कार्यकर्ताओं ने तिरुपरनकुंद्रम में मार्च किया। पूरे इलाके में “वेत्री वेल वीर वेल” और “भारत माता की जय” के नारे गूंजते रहे।
प्रदर्शन की सफलता से चिंतित डीएमके सरकार और इस्लामी संगठनों ने इस आंदोलन को “सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश” बताते हुए सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से हिंदू मुन्नानी और भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान शुरू कर दिया।
क्या है विवाद
तिरुपरनकुंद्रम पर्वत हजारों वर्षों से हिंदू धर्म का पवित्र स्थल है। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने यहां सिकंदर दरगाह का निर्माण किया। अब इसी दरगाह के बल पर मुस्लिम संगठन इसे सिकंदर मलई कहकर इस पर अपना दावा जता रहे हैं।
हिंदूनिष्ठ संगठनों की प्रमुख मांगें –
- तिरुपरनकुंद्रम पर्वत को हिंदुओं के लिए संरक्षित किया जाए।
- सिकंदर दरगाह पर बलि और मांसाहार पर स्थायी प्रतिबंध लगाया जाए।
- इस्लामी संगठनों द्वारा फैलाई जा रही झूठी कहानियों की जांच हो।
- डीएमके सरकार हिंदू धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण न करे।
बता दें कि तिरुपरनकुंद्रम का यह विवाद केवल एक मंदिर या पर्वत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंदू धार्मिक स्थलों पर बढ़ते इस्लामी समूहों के अतिक्रमण का संकेत है। हिंदू मुन्नानी का तिरुपरनकुंद्रम बचाओ आंदोलन इन दावों के खिलाफ एक बड़ा संदेश बन चुका है।अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और न्यायालय इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।
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