जिन्ना के देश से तौबा कर रहा कम्युनिस्ट ड्रैगन! Pakistan-China में चौड़ी होती दरार पर एक नजर
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

जिन्ना के देश से तौबा कर रहा कम्युनिस्ट ड्रैगन! Pakistan-China में चौड़ी होती दरार पर एक नजर

जिन्ना का कंगाल देश चाहता है कि परियोजना जारी रहे ताकि उसके बहाने उसके खाली खजाने से कुछ सिक्कों की खनखनाहट यदा कदा सुनाई देती रहे। वहां से मिले कर्ज की मियाद बढ़वाता रहे और उस 'ताकतवर' देश का बगलगीर बने रहकर दुनिया के सामने एक देश के नाते अपना अस्तित्व बचाए रखे

by Alok Goswami
Feb 1, 2025, 03:17 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
राष्ट्रपति शी जिनपिंग (बाएं) सुरक्षा में चूक को लेकर प्रधानमंत्री शाहबाज (दाएं) से नाराज बताए जा रहे हैं

राष्ट्रपति शी जिनपिंग (बाएं) सुरक्षा में चूक को लेकर प्रधानमंत्री शाहबाज (दाएं) से नाराज बताए जा रहे हैं

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

चीन और पाकिस्तान, जिन्हें विशेषज्ञ अक्सर “आयरन ब्रदर्स” कहते थे और एक समय में पक्के सहयोगी के रूप में देखा जाता था, वर्तमान में अपने संबंधों में एक जटिल दौर से गुजर रहे हैं। इसके पीछे तनाव से भरे आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं जिनमें फिर से जान फूंकने के लिए प्रयास हो रहे हैं। इसमें मुख्य भूमिका चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की है।


अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना ‘चीन—पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ यानी सीपीईसी के कारण जिन्ना के देश को पुचकारते आ रहे कम्युनिस्ट ड्रैगन ने अब पाकिस्तान से एक दूरी जैसी बनानी शुरू की है। इसमें परियोजना और उस पर काम कर रहे चीनियों की सुरक्षा में चूक और उनकी मौतों का एक बड़ा हाथ माना जा रहा है। लाख वादे करने के बाद भी, पाकिस्तान चीन को सुरक्षा के मुद्दे पर आश्वस्त करने में नाकाम रहा है। दक्षिण एशिया मामलों पर नजर रखने वाली एक पत्रिका ने इस बारे में गहन विश्लेषण किया है।

पता चला है कि सुरक्षा को लेकर चीन के सार्वजनिक बयानों से आहत महसूस कर रहे जिन्ना के देश का एक प्रतिनिधिमंडल जल्दी ही बीजिंग जाकर अपने आका के तेवर नरम करने की कोशिश करने वाला है। इस विषय में पाकिस्तान पर जबरदस्त कूटनीतिक दबाव पड़ रहा है जिसके और गहराने का भी खतरा बना हुआ है। कुल मिलाकर पाकिस्तान को खुद के सीपैक परियोजना में हाशिए पर जाने का डर सता रहा है।

इस बारे में द डिप्लोमेट पत्रिका में छपे आलेख में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान, जिन्हें विशेषज्ञ अक्सर “आयरन ब्रदर्स” कहते थे और एक समय में पक्के सहयोगी के रूप में देखा जाता था, वर्तमान में अपने संबंधों में एक जटिल दौर से गुजर रहे हैं। इसके पीछे तनाव से भरे आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं जिनमें फिर से जान फूंकने के लिए प्रयास हो रहे हैं। इसमें मुख्य भूमिका चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की है।

सीपैक परियोजना के तहत, चीन ने पाकिस्तान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए लगभग 62 अरब डॉलर देने का वादा किया है। इसमें मेगा पोर्ट, राजमार्ग, रेलवे और बिजली संयंत्र जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं।

ग्वादर बंदरगाह

हालांकि, परियोजना के शुरू होने के एक दशक बाद भी इसकी कई परियोजनाएं बढ़ तो रही हैं लेकिन बहुत धीमी गति से। इन चुनौतियों के केंद्र में चीन की सुरक्षा चिंताएं हैं जो क्षेत्रीय अस्थिरता और पाकिस्तान के भीतर शासन से जुड़ी समस्याओं से पैदा हुई हैं।

पत्रिका का विश्लेषण बताता है कि, 2021 में काबुल में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद, पाकिस्तान में आतंकी हमलों में बढ़त ने देश में सुरक्षा स्थिति पर काफी असर डाला है। इसका सीधा असर चीनी कामगारों की हिफाजत पर पड़ा है। मार्च, 2024 में उत्तरी पाकिस्तान में हुए एक हमले में पांच चीनी इंजीनियरों की जान गई थी। गत नवंबर माह में कराची हवाई अड्डे के पास एक आतंकवादी हमले में दो चीनी नागरिकों की मौत हुई थी और कम से कम दस अन्य घायल हुए थे।

दोनों देशों के बीच इन हमलों से तनाव उपजा है। पाकिस्तान में मौजूद परियोजना के चीनी अधिकारियों के बीच निराशा बढ़ रही है। वे सुरक्षा और परियोजनाओं की प्रगति पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने में अधिक मुखर और सार्वजनिक हुए हैं।

आगे पत्रिका कहती है कि इस्लामाबाद में चीन के राजदूत ज्यांग ज्दांग ने हाल ही में एक कार्यक्रम में पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार से कहा था, “सिर्फ़ छह महीने में हम पर दो बार हमला होना किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।” यह सार्वजनिक टकराव असामान्य था, क्योंकि दोनों देश आमतौर पर अपनी शिकायतों को खुले में व्यक्त करने से बचते रहे हैं। लेकिन शायद अब पानी सिर पर आ गया है और बात चीनियों की चुप रहने की हद से बाहर जा रही है।

ग्वादर में चीन की परियोजनाओं का स्थानीय जनता सदा विरोध करती रही है (फाइल चित्र)

यहां इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन द्वारा पाकिस्तान की मुखर आलोचना-विशेषकर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों और संयुक्त परियोजनाओं में नाकाबिलियत को लेकर-गलतफहमी पैदा कर सकती है। यह चीज ऐतिहासिक रूप से रहे द्विपक्षीय संबंधों पर असर डाल सकती है।

गत दिनों द गार्जियन ने एक रिपोर्ट में लिखा था कि पाकिस्तान में चीन के राजनीतिक सचिव वांग शेंगजी ने इस्लामाबाद की निंदा की है क्योंकि उसने सुरक्षा संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। उनका कहना था, “ग्वादर और बलूचिस्तान में चीनियों के प्रति दुश्मनी दिखती है।” चीनी अधिकारी की इस टिप्पणी ने यह आभास दिया है कि उक्त दोनों स्थानों के लोग सीपैक के पक्ष में आ ही नहीं सकते।

हैरान करने वाली इस रिपोर्ट ने पाकिस्तानी अधिकारियों में चिंता पैदा कर दी है। उन्हें यह समझ में नहीं आया है कि अपने चीनी समकक्षों द्वारा उनकी एक के बाद एक आलोचना का हल क्या निकाला जाए। पाकिस्तान के अधिकारियों ने दूतावास को भरोसे में लेने के प्रयास किए हैं लेकिन चीनियों की ओर से कब सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान को लताड़ पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।

पाकिस्तान में चीनी दूतावास ने द गार्जियन में छपे इस लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अखबार में प्रकाशित दावे “एकतरफा गढ़े गए” थे और लिखने वाले में “चीन की स्थिति की बुनियादी समझ की कमी थी।”

अपने उसी बयान में, चीन ने खासकर ग्वादर पोर्ट और सामान्य रूप से बलूचिस्तान प्रांत के विकास का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता पर फिर से बल दिया। चीनी दूतावास ने पिछले वर्ष की ठोस उपलब्धियों पर रोशनी डाली, जिसमें आपातकालीन सहायता, बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी गिनाए गए हैं। हालांकि दूतावास कहता तो है कि ‘ये सब प्रयास व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करने और पाकिस्तान में स्थानीय रोजगार को बढ़ाने के बीजिंग के दृढ़ संकल्प को दिखाते हैं।’ लेकिन अंदर की रिपोर्ट कोई बहुत सकारात्मक नहीं है।

दिलचस्प बात यह भी है कि बीजिंग ने इस बात से साफ साफ इनकार नहीं किया है कि उसके अधिकारियों की इस विषय पर मीडिया के साथ चर्चा हुई है। इस घटनाक्रम से पाकिस्तान के साथ बात करने के चीन के नजरिए में आ रहे एक बारीक बदलाव का संकेत मिलता है, जो संभवतः सीपैक परियोजनाओं में देरी और अड़चनों को लेकर ड्रैगन की बढ़ती हताशा से झलकता है। हालांकि चीन अब भी सार्वजनिक रूप से खुद के पाकिस्तान के साथ खड़े होने का भाव ही दे रहा है। लेकिन असल में इस वक्त पाकिस्तान और चीन के बीच संबंध डगमगाहट महसूस कर रहे हैं।

जिन्ना का कंगाल देश चाहता है कि परियोजना जारी रहे ताकि उसके बहाने उसके खाली खजाने से कुछ सिक्कों की खनखनाहट यदा कदा सुनाई देती रहे। पाकिस्तान की चाहत यही है कि उसकी आर्थिक स्थिरता को सहारा देने के लिए चीन से अधिक से अधिक पैसा बंटोर ले। वहां से मिले कर्ज की मियाद बढ़वाता रहे और उस ‘ताकतवर’ देश का बगलगीर बने रहकर दुनिया के सामने एक देश के नाते अपना अस्तित्व बचाए रखे। लेकिन ऐसा कब तक चलेगा, यह तो समय की गर्त में छुपा है।

Topics: ChinaBilateral relationsपाञ्चजन्य विशेषterror attacksपाकिस्तानgwadar portPakistanचीनislamabadbeijingbaluchistancpecबीजिंग
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

ईरान से निकाले गए अफगान शरणा​र्थी   (फाइल चित्र)

‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के परखच्चे उड़ा रहे Iran-Pakistan, अफगानियों को देश छोड़ने का फरमान, परेशानी में ​Taliban

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

Operation Sindoor: बेनकाब हुआ चीन, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ऐसे कर रहा था अपने दोस्त पाक की मदद

जनरल असीम मुनीर

जिन्ना के देश ने कारगिल में मरे अपने जिस जवान की लाश तक न ली, अब ‘मुल्ला’ मुनीर उसे बता रहा ‘वतनपरस्त’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies