नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट के ट्राइब्यूनल ने खालिस्तानी आतंकी संगठन “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ) पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखने का फैसला दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा SFJ पर लगाया गया 5 साल का प्रतिबंध सही माना गया है। ट्राइब्यूनल की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कई गंभीर आरोपों और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को पेश किया, जिनके आधार पर यह फैसला लिया गया।
🔹 SFJ पर केंद्र सरकार के गंभीर आरोप
✅ मणिपुर में ईसाई समुदाय को भारत से अलग होने के लिए उकसाने का प्रयास।
✅ पंजाब को अलग खालिस्तान बनाने की वकालत।
✅ मुसलमानों, तमिलों और ईसाइयों को भारत विरोधी एजेंडे में शामिल करने की कोशिश।
✅ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को धमकी देने के आरोप।
✅ किसानों को कृषि बिलों के खिलाफ भड़काने और हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश।
✅ “उर्दूस्थान” और “द्रविड़िस्तान” जैसे नए अलगाववादी आंदोलनों को उकसाने का प्रयास।
🔹 SFJ के खिलाफ खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट
सरकार द्वारा प्रस्तुत खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, SFJ ने भारत विरोधी हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने और अलगाववादी भावनाएं भड़काने का प्रयास किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि SFJ ने भारत में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का फर्जी प्रोपेगेंडा चलाकर देश को तोड़ने की कोशिश की।
🔹 SFJ का कुकी और मैतेई समुदायों को उकसाने का प्रयास
SFJ ने मणिपुर के कुकी और मैतेई मुस्लिम (पंगल) समुदायों को अलगाववादी आंदोलन में शामिल करने की कोशिश की। रिपोर्ट के अनुसार, SFJ ने मणिपुर के ईसाई समुदाय और मुस्लिम पंगलों को भारत के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया।
🔹 SFJ और गुरपतवंत सिंह पन्नू पर बैन जारी
SFJ पर पहली बार जुलाई 2020 में प्रतिबंध लगाया गया था और इसके सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकी घोषित किया गया था। अब 5 साल के लिए प्रतिबंध को आगे बढ़ा दिया गया है।
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