हमेशा से दूसरों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला वक्फ बोर्ड तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश के बाद खुद ही मुश्किलों में घिरने वाला है। अवमानना के मामले पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य की कांग्रेस सरकार को आदेश दिया है कि वो स्टेट वक्फ बोर्ड के सीईओ को तत्काल उनके पद से हटाए, क्योंकि उनके पास अपेक्षित योग्यता की कमी है।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि तेलंगाना वक्फ बोर्ड के सीईओ के चयन के लिए हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था, लेकिन चार माह बीतने के बाद भी सीईओ का चयन नहीं कर पाया। इसी को लेकर मोहम्मद अकबर नाम के व्यक्ति ने तेलंगाना हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अदालत द्वारा तय, समय सीमा के बाद भी सीईओ का पद खाली रहा। बोर्ड के मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक प्राधिकृत अधिकारी के बजाय एक गैर संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सीईओ बना दिया, जिससे वक्फ की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मोहम्मद असदुल्लाह, जिन्हें वक्फ बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया है, वो असल में एक स्पेशल डिप्टी कलेक्टर थे, जिनकी नियुक्ति वक्फ अधिनियम की धारा 1995 के सेक्सन 23 के अंतर्गत पात्रता के मानदंडों को पूरा ही नहीं करती।
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इस पर तेलंगाना वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश वकील डीवी सीताराम मूर्ति ने दावा किया कि जीओ आरटी. नंबर के जरिए मोहम्मद असदुल्लाह को सीईओ नियुक्त करके आदेश का अनुपालन किया है। इन सभी मामलों पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना हाई कोर्ट ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही न्यायिक आदेशों को सुनिश्चित करती है, लेकिन, उसे पीड़ित के द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसी के साथ अदालत ने अवमानना की याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने ये पाया कि मोहम्मद असदुल्लाह की नियुक्ति वक्फ अधिनियम के अनुरूप नहीं है। क्योंकि इसके अनुसार, वक्फ बोर्ड का सीईओ केवल राज्य सरकार के उपसचिव स्तर का ही अधिकारी हो सकता है।
इसके बाद कोर्ट ने असदुल्लाह की योग्यता को कम बताते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश जारी कर दिया।
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