दिल्ली, जिसे देश की राजधानी के रूप में जाना जाता है, यहां लगभग 40% आबादी पूर्वांचल से जुड़ी हुई है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों से आए ये प्रवासी दिल्ली की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ हैं। घरों में काम करने वाली महिलाएं, दिहाड़ी मजदूर, ऑटो चालक, और छोटी दुकानों के मालिक—पूर्वांचली समुदाय हर क्षेत्र में योगदान दे रहा है। लेकिन इतने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इस समुदाय की समस्याओं और जरूरतों को लगातार नजरअंदाज किया है।
आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने से पहले पूर्वांचलियों को बड़े-बड़े वादे किए गए। लेकिन सरकार बनने के बाद ये वादे केवल कागजों और नारों तक सीमित रह गए। केजरीवाल सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के कारण पूर्वांचली समुदाय अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
पूर्वांचलियों के लिए विशिष्ट योजनाओं की कमी
AAP ने चुनावी रैलियों में पूर्वांचलियों के विकास के लिए कई वादे किए थे, लेकिन सरकार ने कोई भी खास योजना लागू नहीं की।
स्वास्थ्य और शिक्षा में वादाखिलाफी
रोजगार और कौशल विकास में घोर उपेक्षा
दिल्ली सरकार ने कौशल विकास और स्वरोजगार योजनाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
केंद्र सरकार ने पूर्वांचलियों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन दिल्ली में AAP सरकार के अड़ियल रवैये के कारण ये योजनाएं प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो पाईं। उदाहरण के लिए “आयुष्मान भारत योजना” और “प्रधानमंत्री आवास योजना” के माध्यम से समझिए.
राशन कार्ड और पहचान पत्र का मुद्दा
पूर्वांचलियों ने AAP सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने और उन्हें आधार कार्ड व अन्य पहचान पत्र देने में प्राथमिकता दी। इससे गरीब पूर्वांचली प्रवासी, जिनके दस्तावेज अधूरे हैं, वह सरकारी योजनाओं से वंचित हो गए।
असुरक्षित नौकरियां और अनिश्चित भविष्य
पूर्वांचल के प्रवासी दिहाड़ी मजदूरी और अस्थायी नौकरियों पर निर्भर हैं। दिल्ली सरकार ने रोजगार के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई। कई पूर्वांचली मज़दूरों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने उनके रोजगार को सुरक्षित करने के बजाय, अन्य बाहरी समूहों को प्राथमिकता दी।
गंदगी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव
पूर्वांचली बहुल इलाकों, जैसे—त्रिलोकपुरी, संगम विहार और मंगोलपुरी, में टूटी सड़कों, गंदे पानी और सीवर की समस्याएं आम हैं।
केजरीवाल ने वादा किया था कि दिल्ली को “लंदन-पेरिस” जैसा बनाएंगे, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं।
छठ पूजा पर अव्यवस्था और यमुना की गंदगी से पूर्वांचलियों में आक्रोश
प्रकृति से जुड़ा पर्व छठ पूजा, जो पूर्वांचलियों की आस्था और परंपरा का सबसे बड़ा पर्व है, हर साल दिल्ली में अव्यवस्थाओं और यमुना की गंदगी के कारण चर्चा में रहता है। जिसके पीछे की वजह यमुना नदी में जहरीले झाग और प्रदूषित पानी है। इसी जहरीले झाग और प्रदूषित पानी में छठ पर्व मानाने वाले पूर्वांचलियों को अर्घ्य देने को मजबूर होना पड़ता है, जिससे उनकी भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचती है। वही AAP सरकार के दावों के बावजूद, अस्थाई घाटों पर सफाई, रोशनी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
वहीं यमुना की बदहाल स्थिति और जहरीला झाग केवल पर्यावरणीय चिंता नहीं है, बल्कि यह केजरीवाल सरकार की नीतियों और पूर्वांचली समुदाय के प्रति उनकी उदासीनता का प्रतीक है। पूर्वांचलियों का आरोप है कि सरकार ने उनकी धार्मिक भावनाओं और पर्व की अहमियत को नजरअंदाज किया है।
छठ पर्व के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुई जहरीले झाग में अर्घ्य देने की तस्वीरों ने पूर्वांचली समाज के भीतर आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार के प्रति आक्रोश और बढ़ा दिया है। इस मामले को न केवल केजरीवाल सरकार की विफलता माना जा रहा है, बल्कि इसे एक बड़े समुदाय की उपेक्षा के रूप में देखा जा रहा है।
घुसपैठियों का समर्थन
पूर्वांचली समुदाय का मानना है कि केजरीवाल सरकार ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाने में मदद की। इससे न केवल दिल्ली की सुरक्षा खतरे में आई, बल्कि पूर्वांचलियों के अधिकार भी छीने गए।
पूर्वांचलियों का आक्रोश : “हमें वोट बैंक समझा गया”
पूर्वांचलियों का मानना है कि AAP ने उन्हें केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया। चुनाव से पहले झूठे वादे किए गए, लेकिन सरकार बनने के बाद उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। पूर्वांचल समाज के नेता आरोप लगाते हैं कि AAP सरकार ने कभी उनके प्रतिनिधित्व को महत्व नहीं दिया। रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों की उपेक्षा ने उनके भीतर गहरा असंतोष पैदा कर दिया है।
पूर्वांचली समुदाय दिल्ली की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था का मजबूत स्तंभ है। लेकिन AAP सरकार की नीतियों और योजनाओं ने इस वर्ग को ठगा हुआ महसूस कराया है। गंदगी, असुरक्षित नौकरी, और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे पूर्वांचलियों के भीतर गुस्से को जन्म दे रहे हैं। दिल्ली में आगामी चुनावों में पूर्वांचल समुदाय अहम भूमिका निभाएगा। इस बार केजरीवाल सरकार को उनके झूठे वादों और योजनाओं की विफलता का जवाब देना होगा।
बरहाल चुनावों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या पूर्वांचली समुदाय AAP की विफलताओं को नजरअंदाज करेगा, या फिर ऐसे नेतृत्व की तलाश करेगा जो उनके कल्याण के लिए ईमानदारी से काम करे।
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