दिल्ली

आम आदमी पार्टी सरकार की स्वास्थ्य नीतियां कितनी खरी

आम आदमी पार्टी की सरकार ने मोहल्ला क्लीनिकों के मॉडल को लागू किया। वर्तमान में 490 मोहल्ला क्लीनिक हैं, जो लाखों मरीजों को सेवाएं देने का दावा करते हैं।लेकिन इनकी संख्या 1,000 के लक्ष्य से बहुत पीछे है।

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Barkha Dubey Gargi College, University of Delhi

आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक मॉडल, मल्टी-स्पेशलिटी पॉलीक्लिनिक्स, 30 जानलेवा बीमारियों के लिए मुफ्त उपचार, 30,000 अस्पताल बेड की योजना के जरिये दिल्ली के नागरिकों का ध्यान आकर्षित किया। इन पहलों का गहन विश्लेषण करने पर कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक पहलू सामने आते हैं, जो दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की वास्तविक स्थिति को उजागर करते हैं।

स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि और बजटीय सुधार

2015 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने का वादा किया था। इसके अंतर्गत, वित्त पोषण में वृद्धि, बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वास्थ्य पेशेवरों की नियुक्ति और प्राथमिक देखभाल का विस्तार करने का प्रस्ताव था। सरकार ने सत्ता में आने के बाद स्वास्थ्य बजट में महत्वपूर्ण वृद्धि की-

स्वास्थ्य बजट में वृद्धि-

दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य बजट 2014-15 में 2,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 7,484 करोड़ रुपये हो गया। बजटीय वृद्धि के बावजूद, स्वास्थ्य सुविधाओं में वास्तविक सुधार की गति धीमी रही है।

मोहल्ला क्लीनिकों और पॉलीक्लिनिकों का प्रभाव

आम आदमी पार्टी की सरकार ने मोहल्ला क्लीनिकों के मॉडल को लागू किया। यह मॉडल गरीब लोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए लाया गया। वर्तमान में 490 मोहल्ला क्लीनिक हैं, जो लाखों मरीजों को सेवाएं देने का दावा करते हैं।लेकिन इनकी संख्या 1,000 के लक्ष्य से बहुत पीछे है। पॉलीक्लिनिकों का विस्तार भी उल्लेखनीय है, लेकिन इन दोनों पहलों की सफलता की दर स्वास्थ्य सेवा के व्यापक सुधार के संदर्भ में सवालों के घेरे में है।

30,000 बेड के लक्ष्य के मुकाबले केवल 394 बेड

आप सरकार ने मौजूदा औषधालयों को बहु-विशिष्ट पॉलीक्लिनिकों में बदला और 41 निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी की, जिससे सरकारी अस्पतालों के मरीजों को निःशुल्क सर्जरी मिल सके। हालांकि, सरकारी अस्पतालों के बिस्तरों की संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह वृद्धि अपेक्षाकृत कम है। 30,000 बेड के लक्ष्य के मुकाबले केवल 394 बेड ही जोड़े गए, और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण योजनाओं की गति धीमी रही है।

स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी और प्रशासनिक विफलताएं

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। रिपोर्टों के अनुसार, मेडिकल स्टाफ की कमी 34%, पैरामेडिकल स्टाफ की कमी 29% और मेडिकल लेक्चरर की कमी 66% है। इसके साथ ही, प्रशासनिक कर्मचारियों की भी कमी है, जिससे अस्पतालों में कार्य की क्षमता पर असर पड़ा है। इन प्रशासनिक विफलताओं के कारण, मोहल्ला क्लीनिकों और पॉलीक्लिनिकों की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही कम हो गई हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र में दिल्ली का प्रदर्शन

नीति आयोग की रिपोर्ट ‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत’ के अनुसार, दिल्ली 50.2 अंकों के साथ सात केंद्र शासित प्रदेशों में से पांचवें स्थान पर है। यह आंकड़ा दिल्ली सरकार के दावों और प्रयासों के बावजूद एक गंभीर चिंता का विषय है।

क्या कहती हैं पार्टियां और विशेषज्ञ

“आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को लाहौर से भी बदतर स्थिति में ला दिया है। आज दिल्ली का हाल यह है कि लोग बिना मास्क लगाए घर से बाहर नहीं निकल सकते। प्रदूषण के मामले में दिल्ली ने एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है कि अब यह लाहौर को भी पीछे छोड़ चुकी है। दिल्ली का AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 500-600 के स्तर को पार कर चुका है, जो बेहद खतरनाक स्थिति को दर्शाता है।

लेकिन इसके बावजूद, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय दोषारोपण की राजनीति में लगी रहती है। कभी वे यूपी, हरियाणा और दिवाली को जिम्मेदार ठहराते हैं। पहले वे पंजाब में पराली जलाने का आरोप लगाते थे, लेकिन अब जब पंजाब में उनकी सरकार है, तो वे इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह दिखाता है कि आप सरकार प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या का समाधान निकालने में पूरी तरह विफल रही है और इसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।”
– शहजाद पूनावाला, प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी

“जुलाई 2023 से सितंबर 2023 के बीच दिल्ली के सात मोहल्ला क्लिनिक्स के लैब टेस्टिंग डेटा की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 11,657 रिकॉर्ड में मरीज का मोबाइल नंबर ‘0’ लिखा गया, 8,251 मामलों में नंबर खाली छोड़ दिया गया और 3,092 मामलों में ‘9999999999’ दर्ज किया गया। 400 एंट्री में 1-5 अंक से शुरू होने वाले नंबर डाले गए, जो असंभव है। 999 मामलों में 15 या उससे अधिक मरीजों के नाम के आगे एक ही नंबर दर्ज था।

अब सवाल यह है कि जब मोहल्ला क्लिनिक्स में डॉक्टर फर्जी अटेंडेंस लगा रहे थे, तो ये टेस्ट और दवाएं कौन प्रिस्क्राइब कर रहा था? क्या यह काम नॉन-मेडिकल स्टाफ कर रहा था? यह स्थिति दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल की सच्चाई उजागर करती है।”
– डॉ. राजेंद्र ऐरन

आवश्यक सुधार

आप सरकार के लिए कई संरचनात्मक और प्रशासनिक चुनौतियां मौजूद हैं। सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों के विस्तार में ढीला प्रशासन और अपर्याप्त योजना इसके मुख्य कारण हैं। दिल्ली को स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए एक सशक्त और समग्र सुधार मॉडल की आवश्यकता है। इसके बिना, दिल्ली के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की गति धीमी रहेगी और जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाएंगी।

इसलिए, आप सरकार को अपनी नीतियों में और अधिक पारदर्शिता, योजना और प्रशासनिक सुधार लाने की आवश्यकता है, ताकि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का सही मायने में सुधार हो सके।

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