चिकित्सा अनादिकाल से चिकित्सक एवं रोगी के आपसी भरोसे पर आधारित है। समाज में चिकित्सक को भगवान के बाद दूसरा दर्जा दिया जाता है। इसीलिए चिकित्सा क्षेत्र को प्रोफ़ेशन कहा जाता है बिज़नेस नहीं। प्रोफ़ेशन होने के कारण इसकी एक नैतिक आचार संहिता होती है जिसका पालन प्रत्येक चिकित्सक और अस्पताल से सामाजिक, नैतिक मूल्यों से तो अपेक्षित रहती ही है,पर यह क़ानूनी रूप से भी बाध्यकारी रहती है। इसके लिए पूरे भारत में क़ानूनी रूप से निर्धारित करने के लिए नैशनल मेडिकल कमिशन ( पूर्व में मेडिकल काउन्सिल ओफ़ इंडिया ) ने पूरी एक आचार संहिता राजपत्र के माध्यम से प्रकाशित भी कर रखी है। इसके उल्लंघन पर क़ानूनी रूप से सुनवाई और सजा का प्रावधान भी है।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मानवीय मूल्यों से सारोबार, जीवन मृत्यु से सम्बन्धित इसी विधा को भी कोई अपने लालच में अंधा होकर चंद रुपयों के लिए, सत्ता के लिए एक सीढ़ी के रूप में उपयोग कर सकता है? वह भी भारत के दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बल्कि राजधानी क्षेत्र दिल्ली से !!! गलती एक बार हो सकती है पर अगर बार बार और महीनो, वर्षों तक होती रहे तो फिर नीयत पर शक वाजिब है। यह घृणित काम केजरीवाल सरकार ने सबकी आँखो के सामने दिन दहाड़े सीना ठोककर देश के हृदय स्थल दिल्ली में किया है और ऊपर से बेशर्मी की हद तक जाकर, दोषियों पर कार्यवाही करने के बजाय उपराज्यपाल एवं केंद्र सरकार पर दोष मड़ने की कोशिश की “ उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे “ कि आपने हमारी चोरी क्यों पकड़ी। आप अगर आँकड़ो पर नज़र डालेंगे तो आपको अपनी आँखो पर भरोसा नहीं होगा।
2023 में सात मोहल्ला क्लिनिक्स के तीन महीने के रिकॉर्ड खंगाले गए तो यह पता चला था कि डॉक्टर पहले से रिकॉर्डेड वीडियो के जरिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगा देते थे और क्लिनिक आते ही नहीं थे। क्या यह दिल्ली सरकार के संज्ञान के बिना सम्भव हो सकता है? यह भी पता चला था कि उनकी गैर-मौजूदगी में भी टेस्ट और दवाएं प्रिस्क्राइब की जा रही थीं। बाद में पता चला कि ये टेस्ट नकली पेशेंट्स पर किए जा रहे थे।
स्वास्थ्य विभाग की जांच में सामने आया है कि यहां ऐसे मरीजों को लैब टेस्ट कराए जा रहे थे जो वास्तव में थे ही नहीं। इन्हें ‘घोस्ट पेशेंट’ कहा जाता है। लगभग 500 रोगियों के टेस्ट प्रत्येक मोहल्ला क्लिनिक पर रोज़ किए जा रहे थे इतने रोगी तो मोहल्ला क्लिनिक में आते ही नहीं थे।ऐसा प्राइवेट लैब को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा था। एगिलिस डाइयग्नास्टिक और मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर इन दो लैब को अनैतिक फ़ायदा पहुँचाने के लिए यह कूट रचना की गई थी।
बाद में दोनो लैब सर्विस प्रोवाइडर्स से दिल्ली के सात मोहल्ला क्लिनिक का जुलाई, 2023 से सितंबर, 2023 के बीच लैब टेस्टिंग डेटा का सैंपल लेकर जांच की गई। जाँच में सामने आया कि इन सात मोहल्ला क्लिनिक में 11,657 रिकॉर्ड ऐसे पाए गए, जिनमें पेशेंट का मोबाइल नंबर जीरो लिखा गया। 8,251 मामलों में मोबाइल नंबर की जगह खाली छोड़ दी गई और 3,092 मामलों में ‘9999999999’ मोबाइल नंबर एंटर किया गया। ऐसी 400 एंट्री थीं, जिसमें 1-5 अंक से शुरू होने वाले फोन नंबर थे, जबकि इन अंकों से कोई फोन नंबर शुरू नहीं होता। 999 केस में 15 या उससे ज्यादा पेशेंट्स के नाम के आगे एक ही नंबर लिख दिया गया था। सोचने वाली बात ये है कि मोहल्ला क्लिनिक्स में डॉक्टर फर्जी अटेंडेंस लगा रहे थे, तो ये टेस्ट और दवाएं कौन लिखकर दे रहा था? क्या नॉन मेडिकल स्टाफ ये काम कर रहा था?
मरीजों और उनके परिवारों की कई शिकायतों के बाद, तीन प्रमुख अस्पतालों – IHBAS, लोक नायक और दीन दयाल उपाध्याय से नमूने एकत्र किए गए। यह पाया गया कि विचाराधीन कुछ दवाएँ अत्यंत आवश्यक एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड थीं जिनका उपयोग फेफड़ों और किड्नी के संक्रमण, सूजन में उपयोग होता है।हृदय रोग, चिंता निवारक , मिर्गी के रोकथाम और ब्लड प्रेशर के उपयोग में आने वाली महत्वपूर्ण दवाइयों के सैम्पल थे।
नकली दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीजों को दी जा रही थी और शायद मोहल्ला क्लीनिक्स में भी बांटी जा रही थी। ये पांच दवाइयाँ सरकारी और प्राइवेट लैबोरेटरी में फेल हुईं एमलोडिपाइन, लेवेटिरासीटम, पैंटोप्राजोल, सेफ्लैक्सीन और डेक्सामेथासोन जैसी दवाएं सरकारी और प्राइवेट दोनों लैबोरेटरीज में फेल हो गई है।
इन दवाओं की खरीद में किए जा रहे खर्च पर करोड़ों रुपए किए गए।दूसरे राज्यों के सप्लायर और निर्माता भी इस आर्थिक धांधली में शामिल हैं।
इतना बड़ा आर्थिक, सामाजिक, मानव जीवन से खिलवाड़ करते हुए नक़ली दवाइयाँ सप्लाई करना, झूठे लैब टेस्ट करना और मरीज़ों को धोका देते हुए डॉक्टरो के बजाय पैरामेडिकल स्टाफ़ ( भगवान जाने वो पैरामेडिकल स्टाफ़ भी प्रशिक्षित है या नहीं ) से चिकित्सा करवाना वो भी राष्ट्रीय राजधानी में पड़े लिखे लोगों के साथ एक बहुत जघन्य अपराध है। अगर यह कृत्य उन राजनीतिज्ञों द्वारा किया जाता है जो उच्च शिक्षित होकर शुचिता की राजनीति बिना भ्रष्टाचार के करने का दावा करते हो तो यह अपराध और संगीन हो जाता है।
Leave a Comment