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बंगाल की खाड़ी में Bangladesh के साथ मिलकर क्या खिचड़ी पका रही जिन्ना के देश की नौसेना!

बंगाल की खाड़ी की चौकसी बढ़ाते हुए भारत को बांग्लादेशी नौसेना की हरकतों पर भी कड़ी नजर बनाए रखनी होगी

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आलोक गोस्वामी

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के कुर्सी से हटने के बाद वहां सत्ता के नाम पर हुकूमत चला रहे कट्टरपंथी तत्वों की वजह से भारत के खतरा दोतरफा हो गया है। अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ठीक वही वही कर रहे हैं जिसके लिए बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की कट्अरपंथी सोच वाली अध्यक्ष खालिदा जिया और उनकी चहेती जमाते इस्लामी कहती हैं।


भारत के विरुद्ध आतंकी साजिशें रचते आ रहे जिन्ना के देश की बांग्लादेश में कट्टर मजहबी अंतरिम सरकार के आने के बाद से बांछें खिल रही हैं। दोनों की सोच अब एक जैसी यानी कट्टरपंथी है इसलिए पंथनिरपेक्ष हिन्दू बहुल  भारत के विरुद्ध अब दोनों शायद नए सिरे से कुछ जिहादी हरकत करने की चाल में लगे हुए हैं। बांग्लादेश की नौसेना के अधिकारियों को कराची बुलाकर जिन्ना के देश वालों ने मिजाजपुर्सी के बहाने शायद किसी नए षड्यंत्र की लीक डाली है।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अभी दो दिन पहले ही कहा है कि पड़ोसी पाकिस्तान से संबंध इसलिए पटरी पर नहीं आ रहे हैं क्योंकि वह आतंकवाद का प्रायोजक है और भारत के खिलाफ सीमा पार आतंक जारी रखे हुए है। लेकिन आतंकवाद को अपनी विदेश नीति और कूटनीति का अंग बनाए जिन्ना के देश को सद्बुद्धि आती नहीं दिख रही है। लेकिन अब बांग्लादेश में भी अपनी जैसी जिहादी सोच की सरकार आने के बाद से दोनों में साठगांठ बढ़ गई है और कट्टर दुश्मनी मद्धम पड़ती दिख रही है।

इसकी पुष्टि करती है बांग्लादेशी नौसेना के एक प्रतिनिधिमंडल की पाकिस्तान के तटीय शहर ​कराची में मौजूदगी। बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल कराची स्थित पाकिस्तानी नौसेना के मुख्यालय में खूब दावतें उड़ा रहा है। उसने जिन्ना के देश के शिपयार्ड का मुआयना किया है। पाकिस्तान ने उसे अपने जंगी जहाज वगैरह दिखाकर अपनी ‘ताकत’ का मुरीद बनाने और रिझाने की कोशिश की है। बेशक, पाकिस्तान की कोशिश है कि बांग्लादेश की नौसेना को अपने इस्लामी प्रभाव में लेकर बंगाल की खाड़ी में भारत विरोधी हरकतों में साझेदार बनाए।

इसमें संदेह नहीं है कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के कुर्सी से हटने के बाद वहां सत्ता के नाम पर हुकूमत चला रहे कट्टरपंथी तत्वों की वजह से भारत के खतरा दोतरफा हो गया है। अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ठीक वही वही कर रहे हैं जिसके लिए बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की कट्टरपंथी सोच वाली अध्यक्ष खालिदा जिया और उनकी चहेती जमाते इस्लामी कहती हैं।

बांग्लादेश में ऐसी हुकूमत के चलते पाकिस्तान को अगर अपनी शरारतों का दायरा बढ़ाने का खास मौका दिख रहा हो तो इसमें आश्चर्य नहीं। इसी गरज से जिन्ना के देश की सरकार ने बांग्लादेशी हुकूमत के साथ गलबहियां डालना और रिश्तों को नरम बनाना शुरू किया है। इसके पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य हो सकता है और वह है साथ मिलकर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचना। रणनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, हो सकता है पाकिस्तान बंगाल की खाड़ी में कोई हरकत करने की फिराक में है।

कराची में बांग्लादेश के नौसेन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे बांग्लादेश सशस्त्र बल के प्रमुख स्टाफ अधिकारी (पीएसओ) लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमर-उल-हसन ने पाकिस्तान नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और उनके साथ ‘क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सहयोग’ पर चर्चा की। लेफ्टिनेंट जनरल हसन ने पाकिस्तान फ्लीट कमांडर रियर एडमिरल अब्दुल मुनीब, तट कमांडर रियर एडमिरल फैसल अमीन और कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स के प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल सलमान इलियास से अलग से बात की।

हालांकि इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान की ओर से बयान में कहा गया है कि इन चर्चाओं में क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग सहित आपसी हितों के मामलों पर बात हुई है। बयान में है कि दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, पारस्परिक यात्राएं और प्रशिक्षण विनिमय कार्यक्रम जैसे सहयोग के विभिन्न संभावित क्षेत्रों को लेकर विस्तार से बात हुई है।

पाकिस्तानी नौसेना के बयान की यह पंक्ति गौर करने लायक है कि “लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमरुल हसन की यात्रा से दोनों भाईचारे वाले देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करने, सहयोग बढ़ाने और पाकिस्तान और बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के बीच संबंधों के मजबूत होने की उम्मीद है।”

हसन ने रावलपिंडी में सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की है। बैठक में बात यह हुई है कि दोनों देशों के बीच “बाहरी प्रभावों के प्रति लचीला” बने रहने के लिए एक स्थायी साझेदारी हो।

फौजी मेलजोल के अलावा ‘संबंधों और आर्थिक सहयोग’ को भी बढ़ाया जा रहा है। इस वक्त पाकिस्तान के दो व्यापार प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश में हैं। कारण, दोनों देश चाहते हैं कि ‘तनावपूर्ण संबंधों को सुधारा’ जाए। पाकिस्तानी बयान कारोबारियों के इन दौरों को ‘व्यापार के अधिक अवसर’ खोजने वाले बताया है। वे बांग्लादेशी बाजार में पाकिस्तान की निर्यात क्षमता का पता लगाएंगे। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार भी दोनों देशों के बीच संबंधों को ‘और मजबूत’ करने के लिए फरवरी की शुरुआत में ढाका का दौरा करने वाले हैं।

इसमें संदेह नहीं है कि बयान में आए शब्दों ‘संयुक्त सैन्य अभ्यास’, ‘पारस्परिक यात्राएं और प्रशिक्षण विनिमय कार्यक्रम’, ‘दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करना’ का निशाना भारत ही है। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस जिन कदमों पर चल रहे हैं, उससे साफ है कि वह पश्चिम की ‘डीप स्टेट’ के एक मोहरे जैसे हैं, नहीं तो कोई वजह नहीं थी कि वह बांग्लादेश की तरक्की में महत्वपूर्ण सहयोग करते आ रहे भारत को चुभने वाला ऐसा कोई कदम उठाते। कुर्सी पर बैठने के बाद से वह दो बार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मोहम्मद शाहबाज शरीफ से बात कर चुके हैं। शरीफ ने उनको पाकिस्तान बुलाया है और उन्होंने यात्रा का निमंत्रण स्वीकार किया है।

यह पूरा घटनाक्रम एक संकेत है और उस संकेत को समझते हुए भारत के सुरक्षाबल बांग्लादेश की ओर से विशेष रूप से सतर्क हो गए होंगे। बंगाल की खाड़ी की चौकसी बढ़ाते हुए भारत को बांग्लादेशी नौसेना की हरकतों पर भी कड़ी नजर बनाए रखनी होगी।

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