लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी के बुरे दिन खत्म होने के बदले और भी बढ़ते ही जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में खराब प्रदर्शन का असर अब कांग्रेस पार्टी को अपने दक्षिण के मजबूत गढ़ में चुकाना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव के उपरांत खराब प्रदर्शन के कारण अब दक्षिण के कांग्रेस पार्टी के सहयोगी दल भी कांग्रेस पार्टी को हल्के में लेने लगे हैं। इस कड़ी में अब अगला नाम तमिलनाडु की पार्टी डीएमके का भी शामिल हो गया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ दो अलग-अलग राज्यों में एक-एक सीट पर विधानसभा के उपचुनाव भी आहूत हैं। इन दो सीटों में एक सीट उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर है, वहीं दूसरी सीट तमिलनाडु की इरोड पूर्व की सीट है। तमिलनाडु की इरोड पूर्व की सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन विधायक इरोड वेंकट कृष्णस्वामी संपत एलंगोवन के निधन के कारण इस सीट पर विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है। यह सीट इरोड जिले के अंतर्गत इरोड लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। इस सीट से 2021 के विधानसभा चुनाव में सेक्युलर प्रोग्रेसिव गठबंधन के तहत कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ा था। सेक्युलर प्रोग्रेसिव गठबंधन का नेतृत्व उस चुनाव में डीएमके ने किया था।
कांग्रेस पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर विजय प्राप्त की थी। मगर कांग्रेस विधायक के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें फिर से कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की। 2023 के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत का अंतर 2021 के विधानसभा चुनाव के लगभग सात गुना बढ़ गया था। जहां कांग्रेस पार्टी ने 2021 में यह सीट महज 8,904 मतों से जीती थी, वहीं 2023 के उपचुनाव में इस सीट को कांग्रेस पार्टी ने 66,233 मतों से जीता था।
मगर दिसंबर 2024 में कांग्रेस के विधायक ई.वी.के.एस. एलंगोवन का निधन हो गया और इस सीट पर अब उपचुनाव होने जा रहा है। मगर आश्चर्य की बात यह है कि डीएमके ने कांग्रेस पार्टी से इस सीट को अपने पाले में ले लिया है। इस उपचुनाव में इस बार सेक्युलर प्रोग्रेसिव गठबंधन की ओर से कांग्रेस पार्टी के बदले डीएमके चुनावी मैदान में है।
कांग्रेस पार्टी के लिए इरोड पूर्व का उपचुनाव एक बड़ा राजनीतिक संकेत लेकर आया है। कांग्रेस पार्टी का अभी भी दक्षिण के राज्यों में अच्छा प्रभाव माना जाता है। दक्षिण के दो राज्यों तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है। केरल में कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल है। तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ डीएमके की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी दल है। गांधी परिवार का दक्षिण के राज्यों से गहरा राजनीतिक लगाव रहा है। इंदिरा गांधी 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं। 1980 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मेडक लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई थीं। सोनिया गांधी 1999 में अमेठी के अलावा कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ी थीं। राहुल गांधी 2019 में अमेठी के अलावा दक्षिणी राज्य केरल के वायनाड से चुनाव लड़े थे। राहुल गांधी 2019 में अमेठी से चुनाव हार गए थे, मगर वायनाड से चुनाव जीते थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी रायबरेली और वायनाड से चुनाव जीते थे और वायनाड की सीट को छोड़ा था। फिर राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट से उपचुनाव जीतकर अपनी चुनावी राजनीति शुरू की है। अतः गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी का दक्षिण के राज्यों से पुराना रिश्ता रहा है। यद्यपि यह रिश्ता अपने राजनीतिक पुनर्जीवन के लिए ज्यादा रहा है।
इस उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को दक्षिणी राज्यों के एक महत्वपूर्ण सहयोगी डीएमके द्वारा उसकी जीती हुई सीट को उपचुनाव में अपने लिए लेने की यह घटना एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन के तौर पर देखी जा रही है। तमिलनाडु में अगले साल 2026 में विधानसभा चुनाव आहूत हैं। 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सेक्युलर प्रोग्रेसिव गठबंधन के तहत कांग्रेस पार्टी को 25 विधानसभा की सीट लड़ने को दी गई थी, मगर इस बार इरोड पूर्व की सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस की जीती गई सीट को जिस तरह से डीएमके ने झटक लिया है, उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में और भी कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।
अगला साल दक्षिणी राज्यों की राजनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा है। 2026 में दक्षिण के दो राज्यों तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल में कम्युनिस्ट दलों का देश में एकमात्र सरकार शेष है। केरल में वायनाड लोकसभा सीट पर 2024 में हुए आम चुनाव और उपचुनाव में कई ऐसे संकेत मिले हैं, जिससे इस तथ्य को बल मिलता है कि केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन और गांधी परिवार में एक सामंजस्य देखने को मिलता है। जिसमें गांधी परिवार को वायनाड लोकसभा की सीट पर कम्युनिस्ट का अप्रत्यक्ष सहयोग मिलेगा और बदले में पी. विजयन को कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में कमजोरी से चुनाव लड़कर मदद करके मुख्यमंत्री बने रहने में सहयोग करेगी। वहीं भाजपा अपने को केरल की राजनीति के लिए काफी मजबूती से तैयार कर रही है।
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