प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में जिन तीन युद्धपोतों को भारतीय नौसेना में कमीशन किया, उनमें सबसे महत्वपूर्ण है ‘आईएनएस सूरत’। यह युद्धपोत न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की शक्ति और सामरिक क्षमताओं को भी प्रदर्शित करेगा। इसकी उन्नत तकनीक, स्वदेशी निर्माण और तेज निर्माण प्रक्रिया इसे विशेष बनाते हैं। आईएनएस सूरत का निर्माण और संचालन भारतीय नौसेना के लिए एक ऐसा नया युग लेकर आया है, जो भविष्य में देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
भारतीय नौसेना के भविष्य के लिए मार्गदर्शक
वास्तव में आईएनएस सूरत केवल एक युद्धपोत नहीं है बल्कि भारतीय नौसेना के भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक है, साथ ही भारत के आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी के समन्वय का प्रतीक भी है। इसके सफल संचालन से भारतीय नौसेना अन्य आधुनिक युद्धपोतों और प्रणालियों के विकास की ओर अग्रसर होगी। आईएनएस सूरत को पर्यावरणीय मानकों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसमें इको-फ्रेंडली प्रौद्योगिकियों और ईंधन दक्षता को प्राथमिकता दी गई है। यह युद्धपोत न केवल ताकतवर है बल्कि समुद्री पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदार है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से लैस
आईएनएस सूरत स्वदेशी रूप से निर्मित फ्रंटलाइन युद्धपोत और गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज है, जिसे अत्याधुनिक तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से लैस किया गया है। इस युद्धपोत को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह दुश्मन के रडार से बचकर उस पर सटीक हमला भी कर सके। इसके उन्नत स्टील्थ फीचर्स और उन्नत रडार सिस्टम इसे समुद्र में एक अद्वितीय ताकत बनाते हैं। आईएनएस सूरत का निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत किया गया। आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के विशाखापत्तनम श्रेणी के स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोतों में चौथा और परियोजना-15बी के तहत निर्मित विध्वंसक पोतों की श्रृंखला का अंतिम पोत है। इसकी नींव 7 नवंबर 2019 को रखी गई थी और इसे 17 मई 2022 को लांच किया गया। निर्माण प्रक्रिया को रिकॉर्ड 31 महीनों में पूरा किया गया, जो भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह युद्धपोत 164 मीटर लंबा है और इसका वजन करीब 7400 टन है। इसके निर्माण में 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। इस युद्धपोत का नाम गुजरात के सूरत शहर के नाम पर रखा गया है, जो अपने व्यापार और औद्योगिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत का पहला ऐसा युद्धपोत है, जिसका नाम गुजरात के किसी शहर के नाम पर रखा गया है। इस नामकरण से राष्ट्रीय गौरव और सूरत शहर के साथ देश की समुद्री परंपराओं का सम्मान प्रकट होता है।
उन्नत हथियारों, सेंसर और प्रणालियों से लैस किया गया
आईएनएस सूरत की प्रमुख तकनीकी विशेषताओं की बात की जाए तो इसे उन्नत हथियारों, सेंसर और प्रणालियों से लैस किया गया है। इसमें सतह से हवा में और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं। स्टील्थ फीचर्स इसे दुश्मनों द्वारा ट्रैक करना मुश्किल बनाते हैं। इसका उन्नत डिजाइन रडार सिग्नेचर को कम करता है। यह भारतीय नौसेना का पहला युद्धपोत है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस है। यह एआई प्रणाली युद्धपोत की ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाती है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज और सटीक हो जाती है। इसमें सतह से हवा में मार करने वाले दो वर्टिकल लांचर हैं, जिनसे एक बार में 16 ब्रह्मोस मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें रॉकेट लांचर और टॉरपीडो लांचर भी हैं, जो दुश्मन की पनडुब्बियों को नष्ट करने में सक्षम हैं। संयुक्त गैस और गैस प्रणोदन प्रणाली से संचालित यह युद्धपोत चार गैस टर्बाइनों से लैस है। समुद्री परीक्षणों के दौरान इसने 30 नॉट्स (लगभग 56 किलोमीटर प्रतिघंटा) की गति प्राप्त की। उन्नत सेंसर और रडार सिस्टम से लैस यह युद्धपोत किसी भी मौसम में, दिन और रात, दुश्मनों की गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम है। इस पर चेतक, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच), सी किंग और एमएच-60आर हेलीकॉप्टर संचालित किए जा सकते हैं। इसमें इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम और अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम लगाया गया है, जो समुद्र में सटीक मार्गदर्शन सुनिश्चित करता है।
छह महीने हुआ समुद्री परीक्षण
आईएनएस सूरत का समुद्री परीक्षण 15 जून 2024 को शुरू हुआ था और 25 नवंबर 2024 को समाप्त हुआ। छह महीने से भी कम अवधि में इसने सभी परीक्षण पास कर लिए, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। परीक्षणों के दौरान इसने विभिन्न परिचालन स्थितियों में अपनी क्षमता और विश्वसनीयता को साबित किया। परीक्षणों के दौरान आईएनएस सूरत ने समुद्री सुरक्षा, दुश्मन पनडुब्बियों के खिलाफ ऑपरेशन और विभिन्न प्रकार की मिसाइलों तथा हथियारों की लांचिंग का सफल प्रदर्शन किया। इसमें 30 नॉट्स की गति प्राप्त करने और अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संचालन क्षमता का परीक्षण किया गया। यह युद्धपोत सतह से सतह पर और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला कर सकता है। इसके टॉरपीडो और रॉकेट लांचर दुश्मन की पनडुब्बियों को नष्ट करने में सक्षम हैं। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें इसे दुश्मन के विमानों और ड्रोन के खिलाफ भी सक्षम बनाती हैं। उन्नत सेंसर और रडार प्रणाली के माध्यम से यह समुद्री क्षेत्र में सतत निगरानी रख सकता है। इसमें आधुनिक इलैक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली लगाई गई है, जो दुश्मनों के संचार और रडार सिग्नलों को बाधित करने में सक्षम है।
समुद्र में दुश्मनों के लिए एक अदृश्य खतरा
आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के लिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित यह युद्धपोत भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे न केवल देश की रक्षा उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है बल्कि विदेशी उपकरणों पर निर्भरता भी काफी कम हुई है। आईएनएस सूरत भारत की समुद्री शक्ति को नई ऊंचाईयों पर ले जाने वाला एक ऐसा अत्याधुनिक युद्धपोत है, जो समुद्र में दुश्मनों के लिए एक अदृश्य खतरा है। यह भारत के समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारतीय महासागरीय क्षेत्र में चीन और अन्य देशों की बढ़ती गतिविधियों के बीच आईएनएस सूरत का निर्माण भारत की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करता है।
निभाएगा अहम भूमिका
यह युद्धपोत भारत के समुद्री क्षेत्र में किसी भी संभावित खतरे को नष्ट करने की क्षमता रखता है और इसकी बहुउद्देश्यीय क्षमताएं इसे समुद्री युद्ध के सभी पहलुओं में प्रभावी बनाती हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के लिए सामरिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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