गुजरात

फर्जी दस्तावेजों के सहारे डेढ़ साल से सूरत में रह रहा बांग्लादेशी नागरिक यूसुफ, SOG ने किया गिरफ्तार

यूसुफ ने कहा कि मैं डेढ़ साल पहले 1000 टका बांग्लादेशी एजेंट को रिश्वत देकर सतखिरा सीमा से पश्चिम बंगाल के बनगांव होते हुए भारत में घुसा था। वहां से गुजरात आया।

Published by
Kuldeep singh

देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की तादात है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। दिल्ली के बाद अब गुजरात के सूरत में एक बांग्लादेशी नागरिक को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने गिरफ्तार किया है, जो कि पिछले डेढ़ साल से सूरत में डेरा डाले हुए था। उसने फर्जी आधार और वोटर आईडी भी बनवा लिए थे।

कैसे हुई गिरफ्तारी

सूरत पुलिस को सीक्रेट इनपुट मिले थे कि एक अवैध बांग्लादेशी सूरत शहर की झुग्गी बस्तियों में रह रहा है। इसी के बाद एसओजी की टीम ने लालगेट पालिया ग्राउंड झुग्गी बस्ती में छापा मारा। इसके आधार एक 27 वर्षीय नागरिक के रिकॉर्ड को जब पुलिस ने जांचा तो पहले तो उसके पास से आधार कार्ड, वोटर कार्ड, फर्जी डीएल और बांग्लादेशी पासपोर्ट की फोटोकापी हाथ लगी।

बस फिर क्या था, जब एजेंसियों ने यूसुफ सरदार को इंटेरोगेट किया तो उसने अपना मुंह खोल दिया। पूछताछ के दौरान यूसुफ ने स्वीकार किया कि वो बांग्लादेशी नागरिक है। यूसुफ ने कहा कि मैं डेढ़ साल पहले 1000 टका बांग्लादेशी एजेंट को रिश्वत देकर सतखिरा सीमा से पश्चिम बंगाल के बनगांव होते हुए भारत में घुसा था। वहां से गुजरात आया। यहां उसने हिन्दू नाम से अपने सारे प्रमाणपत्र बनवा रखे थे। हावड़ा से सूरत पहुंचने के बाद से मैं यहां झुग्गी में किराए के मजदूर के तौर पर रह रहा हूं।

पहले भी हो चुकी है ऐसी वारदात

गौरतलब है कि इससे पहले पिछले साल नवंबर 2024 में भी सूरत में बांग्लादेशी मूल की महिला घुसपैठी रसीदा बेगम जहांगीर अली शेख को पकड़ा था। खास बात ये है कि वह भी इसी पैटर्न का इस्तेमाल करके भारत में घुसी थी। फर्क सिर्फ इतना था कि उसने एजेंट को 15,000 टका की रिश्वत दी थी। इसी तरह से रसीदा भी पश्चिम बंगाल से मुंबई पहुंची और वहां एक स्पा में काम किया। इसके बाद वहां से वो सूरत आ गई। केवल 2024 में ही सूरत पुलिस ने जिले में 22 अवैध बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था।

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