देश के युवाओं को राष्ट्रीय भाव से जोड़ने हेतु निरन्तर संलग्न विवेकानंद स्वाध्याय मण्डल, पंतनगर द्वारा बीसवें राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी का आयोजन 12-13 जनवरी, 2025 को किया गया जिसमें देश के अनेक विद्वानों, युवाओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। देश भर से आये युवा प्रतिभागियों के मध्य पद्मश्री डॉ जितेन्द्र बजाज ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए विकसित भारत की संकल्पना का चित्र खींचा और स्पष्ट किया कि देश का जनसांखिकीय लाभांश अभी के जनसंख्या वृद्धि दर के अनुरूप जल्दी ही खत्म हो जायेगा अतः आज की युवा जनसंख्या का पूरा उपयोग यदि अत्यन्त तत्पर गति से नहीं किया गया तो देश इसके लाभ से वंचित रह जायेगा जो क्षति से बढ़ कर आपदा का रूप भी ले सकती है।
उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर से जनसंख्या वृद्धि दर को जोड़ते हुए स्पष्ट किया कि देश को वृद्धि दर का लाभ निकट वर्षों में जनसंख्या नियन्त्रण के कारण मिला पर आज के आँकड़े आने वाले समय में उम्रदार आबादी की तीव्र बढ़ोतरी का संकेत दे रहे हैं जो देश के वृद्धि दर को प्रभावित कर सकता है । उन्होंने 2047 के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु एक अत्यन्त सशक्त युवा नीति के निरूपण एवं स्थापन की आवश्यकता को राष्ट्रीय आवश्यकता बताया।
कार्यक्रम में देश भर से जुड़े विवेकानंद स्वाध्याय मंडल के कार्यकर्ताओं एवं अन्य प्रतिभागियों को विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी की कु. रचना जानी, पाणिनि फाउंडेशन की संस्थापक श्रीमती रमा पोपली, रामकृष्ण मिशन अल्मोडा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानन्द, प्रज्ञा प्रवाह के श्री राजेन्द्र चड्ढा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्री जगदीश जी, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख डॉ हरमेश सिंह चौहान, पंतनगर के अधिष्ठाता कृषि डॉ शिवेन्द्र कश्यप ने विभिन्न सत्रों में सम्बोधित किया । युवा प्रतिभागियों द्वारा चार उप-विषयों पर एक सौ बीस पत्र प्रस्तुत किये गये जिनमें युवाओं ने 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप राष्ट्रीय युवा नीति में बदलाव के सम्बन्ध में अपने विचार प्रस्तुत किये।
ज्ञात हो की विगत उन्नीस वर्षों से विवेकानंद स्वाध्याय मण्डल द्वारा पंतनगर में निरन्तर आयोजित राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी में इस वर्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय, आईएआरआई, एनडीआरआई, आईवीआरआई, देवी अहल्या विश्वविद्यालय, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय परभणी, कामधेनु विश्वविद्यालय गुजरात, राजमाता सिंधिया विश्वविद्यालय ग्वालियर, कृषि विश्विद्यालय उदयपुर सहित पैंतालीस विश्वविद्यालयों के प्रतिभागी सम्मिलित हुए। युवा प्रतिभागियों ने विकसित भारत के स्वरूप के वैज्ञानिक निरूपण और उसके मापकों को चिन्हित कर उसके अनुरूप उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका का वृहद् स्वरूप रेखांकित किया । प्रतिभागियों ने भावी भारत के चित्र में आर्थिक एवं तकनीकी विकास के मापकों के साथ सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं जीवन – मूल्य आधारित मापकों को भी चिह्नित किया जिससे भावी विकसित भारत का स्वरूप अपने पूर्वजों, दार्शनिकों एवं ऋषियों के सोच एवं संकल्पना के अनुरूप रहे। समस्त युवा विचारों को संकलित कर दो खंडों के सात सौ पृष्ठों का ग्रन्थ प्रकाशित एवं विमोचित किया गया।
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