नई दिल्ली । पाञ्चजन्य की 78वीं वर्षगांठ के अवसर पर, 14 जनवरी 1948 को मकर संक्रांति के पावन पर्व पर स्थापित इस प्रतिष्ठित पत्रिका ने दिल्ली के “द अशोक होटल” में “पाञ्चजन्य ने बात भारत की” नामक कार्यक्रम के तहत अष्टयाम सम्मेलन का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक आयोजन के तीसरे सत्र में, वैज्ञानिक और प्रख्यात लेखक आनंद रंगनाथन ने “नींव और उड़ान” विषय पर अपने विचार रखे।
भारत की विकास यात्रा और दिशा : आनंद रंगनाथन के विचार
आनंद रंगनाथन ने अपने संबोधन में कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश ने कई महत्वपूर्ण संस्थान स्थापित किए, जो राष्ट्रीय निर्माण की आवश्यकता को पूरा करते थे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हमने अपनी विकास यात्रा में कुछ गलत निर्णय लिए, जिनका असर हमारी प्रगति पर पड़ा। उन्होंने इस संदर्भ में भारत का सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता चीन के पक्ष में छोड़ने और सोवियत संघ के प्रति झुकाव का उदाहरण दिया।
विकसित भारत 2047 : मोदी सरकार का दृष्टिकोण
आनंद रंगनाथन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश आज टेक-ऑफ मोड में है। उन्होंने कहा कि भारत इस समय इन्फ्लेक्शन प्वाइंट पर है, जहां राष्ट्र के विकास की संभावना चरम पर है। उन्होंने भारत की प्रगति को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में हर क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं।
भारत की प्रगति के आंकड़े :
- जीवन प्रत्याशा : 1947 में 32 वर्ष थी, जो अब 76 वर्ष हो गई है।
- साक्षरता दर : 1947 में 12% से बढ़कर आज 86% हो गई है।
- गरीबी दर : 1947 में 76% थी, जो अब 4.5% है।
- शिशु मृत्यु दर : 160 से घटकर आज 24 हो गई है।
- जीडीपी प्रति व्यक्ति आय : 2014 में $1,500 थी, जो 2023 में $2,600 हो गई है।
- विदेशी मुद्रा भंडार : 2014 में $300 बिलियन से बढ़कर 2023 में $705 बिलियन हो गया।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर : 2014 तक जहां केवल 74 हवाई अड्डे थे, वहीं आज 148 हैं।
चुनौतियों और जिम्मेदारी पर जोर
हालांकि, आनंद रंगनाथन ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि देश में अभी भी गरीबी और शिक्षा की कई समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि 300 मिलियन लोग अब भी ₹60 प्रतिदिन से कम आय पर जीवित हैं। इसके अलावा, 150 मिलियन भारतीय बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं।
उन्होंने कहा कि हमें फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच अंतर समझना होगा। वेलफेयर (कल्याण) से समाज का भला होता है, जबकि फ्रीबीज (मुफ्त उपहार) सिर्फ वोट बैंक की राजनीति का साधन हैं।
फ्रीबीज बनाम वेलफेयर
रंगनाथन ने कहा कि हर राजनीतिक दल को फ्रीबीज को खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा योजनाओं को फ्रीबीज बताया। उन्होंने कहा कि “यह पैसा जनता का है और इसे विकास कार्यों में लगाना चाहिए।”
भारत का भविष्य : चुनौतियों से अवसर तक
रंगनाथन ने कहा कि देश का हर नागरिक इस समय इन्फ्लेक्शन प्वाइंट का हिस्सा है। हमें यह तय करना है कि यह अवसर न केवल कुछ विशेष वर्गों तक सीमित रहे, बल्कि पूरे समाज के लिए उपयोगी बने। उन्होंने कहा कि “हम चाहते हैं कि पूरा भारत विकास की इस यात्रा में समान रूप से भागीदार बने।”
अंत में पाञ्चजन्य के 78 वर्षों की गौरवशाली यात्रा को याद करते हुए और स्वर्णिम भारत के निर्माण में योगदान की बात करते हुए आनंद रंगनाथन ने अपने संबोधन को समाप्त किया। उन्होंने कहा कि “भारत आज आत्मनिर्भरता और प्रगति की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस प्रगति को बनाए रखें और इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।”
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