हाथों में त्रिशूल-डमरू, शरीर पर भस्म और घोड़े-ऊंट और रथ की सवारी और हर-हर महादेव के जयघोष के नारों के साथ 2000 नागा साधुओं ने प्रयागराज महाकुंभ में मकर संक्रांति के पावन पर्व पर अमृत स्नान किया।
रात 2 बजे ही शुरू हो गया था स्नान
शाही स्नान की शुरुआत रात 2 बजे से ही हो गई थी। सबसे पहले पंचायती निर्वाणी अखाड़े के संतों ने स्नान किए। इसके बाद से एक-एक करके सभी अखाड़ों के संतों ने स्नान किए। प्रत्येक अखाड़े को स्नान के लिए 30-40 मिनट का समय दिया गया है। लेकिन, आस्था ये संगम ऐसा है कि अखाड़ों के इन संतों का आशीर्वाद लेने के लिए ही रात 2 बजे से लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम पर एकत्रित हो गए हैं।
संगम क्षेत्र पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ है। संगम की ओर जाने वाले मार्ग के दोनों तरफ 10-12 किलोमीटर तक केवल श्रद्धालुओं की लंबी कतारें ही देखी जा सकती हैं।
पहले दिन एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई थी डुबकी
गौरतलब है कि 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शुरू हुए महाकुंभ के पहले दिन ही एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था के संगम में डुबकी लगाई थी। हजारों की संख्या में विदेशों से आए सनातन प्रेमियों ने स्नान किया था।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
इस बीच सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखा गया है। 60,000 जवानों को कुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्था में उतार दिया गया है। महाकुंभ क्षेत्र के चप्पे-चप्पे में जवानों को तैनात किया गया है। इसके अलावा कमाडोज के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स को भी लगाया गया है।
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