मां को भी है शांति से जीने का अधिकार: दिल्ली हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
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मां को भी है शांति से जीने का अधिकार: दिल्ली हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

दिल्ली के एक घर में रहने वाली बुजुर्ग महिला ने अपने बेटे और बहू पर मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए।

by Mahak Singh
Jan 11, 2025, 10:46 am IST
in दिल्ली
Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे मामले में अहम फैसला सुनाया, जिसने न केवल वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की, बल्कि यह भी दर्शाया कि न्यायपालिका बुजुर्गों के सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति पूरी तरह सजग है। कोर्ट ने एक बुजुर्ग महिला को मानसिक शांति और स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित करते हुए उसके बेटे-बहू और उनके परिवार को घर खाली करने का आदेश दिया।

बुजुर्ग महिला पर हो रहा था अत्याचार

यह मामला तब सामने आया जब दिल्ली के एक घर में रहने वाली बुजुर्ग महिला ने अपने बेटे और बहू पर मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि बेटे और बहू ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें घर में स्वतंत्र रूप से रहने का अधिकार भी नहीं दिया। यह भी खुलासा हुआ कि बुजुर्ग महिला को छत पर जाने और पानी की टंकी की मरम्मत कराने तक से रोका गया।

बुजुर्ग महिला अपने घर की पहली मंजिल पर अपनी अविवाहित बेटी के साथ रहती थीं, जबकि उनके एक बेटे और बहू ग्राउंड फ्लोर पर और दूसरे बेटे-बहू अपने परिवार के साथ दूसरी मंजिल पर रहते थे। दूसरी मंजिल पर रहने वाले बेटे-बहू ने महिला के लिए छत पर जाने का रास्ता बंद कर दिया और यहां तक कि उनके कमरे में हवा और रोशनी आने में भी व्यवधान पैदा किया।

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने इस घटना को बुजुर्गों के अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी बेटे या बहू को यह अधिकार नहीं है कि वे अपने माता-पिता की संपत्ति पर कब्जा कर लें और उन्हें मानसिक या शारीरिक रूप से परेशान करें।

दिल्ली माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण नियम, 2016 के तहत, बुजुर्ग माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों को उनकी संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है। इस कानून का सहारा लेते हुए, बुजुर्ग महिला ने जिला मजिस्ट्रेट से शिकायत की थी। जांच में पता चला कि बेटे-बहू ने न केवल बुजुर्ग महिला को परेशान किया, बल्कि उनकी अविवाहित बेटी के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर मामला दर्ज करवाया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखते हुए बेटे-बहू और उनके परिवार को घर खाली करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मकान महिला के पति की संपत्ति थी, जो उनकी मृत्यु के बाद महिला के नाम पर हो गई। ऐसे में यह महिला की संपत्ति है और उसे अपनी संपत्ति पर स्वतंत्र रूप से रहने का पूरा अधिकार है।

हालांकि, मध्यस्थता के दौरान यह तय किया गया कि बेटा और बहू बुजुर्ग महिला को हर महीने ₹3,000 की राशि देंगे लेकिन महिला ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि परिवार टूट चुका है और वह सिर्फ शांति से जीना चाहती हैं। उनका मकसद सिर्फ इतना है कि उन्हें और उनकी बेटी को उनके घर में कोई परेशान न करे।

Topics: दिल्ली हाईकोर्टSon and daughter-in-lawCouple evicted from mother housefamily disputeDelhi High Court verdictelderly womanबेटा और बहूबेटा-बहू मां के घर से बेदखलपारिवारिक विवाददिल्ली हाईकोर्ट का फैसलाDelhi High Court
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