भारत सरकार देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए लगातार कार्य कर रही है। इसी के तहत केंद्र सरकार भारत और म्यांमार से लगती सीमा पर बाड़ लगा रही है, लेकिन नागालैंड की स्थानीय जनजातियां इसका विरोध करने लगी हैं। इन जनजातियों का कहना है कि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। हालांकि, ये विरोध केवल पांच जनजातियां ही कर रही हैं। बाकी के लोग इसका विरोध नहीं कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पता चला है कि केंद्र सरकार द्वारा सीमा को बाड़ के जरिए सुरक्षित करने का विरोध नागालैंड की पांच प्रमुख जनजातियों के शीर्ष निकाय तेन्यीमी यूनियन नागालैंड (TUN) की ओर से किया जा रहा है। इस यूनियन में अंगामी, चाखेसांग, पोचुरी, रेंगमा और जेलियांग जनजातियां शामिल हैं।
क्या शिकायत है इस संगठन की
इस संगठन का कहना है कि टीयूएन का कहना है कि अगर सीमा पर बाड़ लगा दी गई, तो इससे हमारे समुदाय को धक्का लगेगा। हम अलग-थलग हो जाएंगे, इससे हमारे संपर्क टूट जाएंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच खत्म हो जाएगी। टीयूएन के अध्यक्ष केखवेंगुलो ली ने इसे बाड़ केवल एक भौतिक बाधा नहीं है। ये हमारी पहचान और विरासत पर हमला है। शीर्ष निकाय ने केंद्र सरकार से भारत, म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने को लेकर फिर से विचार करने की मांग की है।
लेकिन, सवाल ये है कि आखिर ये शीर्ष निकाय किस प्रकार की सेवा और संस्कृति की बात कर रहे हैं। क्योंकि नागालैंड तो भारत का अभिन्न अंग है।
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