दिल्ली

सिख विरोधी दंगा : सरस्वती विहार मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ 21 जनवरी को फैसला

शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया था

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WEB DESK

नई दिल्ली, (हि.स.)। राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े सरस्वती विहार मामले में पूर्व कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज मुकदमे पर 21 जनवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 8 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट ने 4 दिसंबर, 2021 को सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। सज्जन कुमार ने 16 दिसंबर, 2021 को इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। यह मामला 1 नवंबर, 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह के घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला किया था। भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे।

शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया। भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की। रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई। भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 395, 397, 302, 307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए।

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