महाराष्ट्र के नांदेड़ में 18 साल पहले हुए बम विस्फोट मामले में सत्र न्यायालय ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि यह बम विस्फोट था। इस मामले में ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का भी उपयोग किया गया था। कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मामले में आरोपियों का बरी होना कांग्रेस के मुंह पर तमाचा है।
अप्रैल 2006 को रात 1:30 बजे पाटबंधारे कॉलोनी के एक घर में अचानक तेज आवाज हुई। आस-पास के लोग मौके पर पहुंचे। विस्फोट में दो लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने पहले बताया था कि विस्फोट पटाखों की वजह से हुआ, लेकिन दूसरे दिन बम विस्फोट की बात कही। महाराष्ट्र एटीएस जांच कर रही थी कि इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। अब अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि यह बम विस्फोट था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
नांदेड़ केस में निचली अदालत के इस फैसले ने पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने बड़े सवाल खड़े किए। जांचकर्ताओं ने दावा किया था कि राजकोंडवार के बेटे नरेश राजकोंडवार और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता हिमांशु पानसे की कथित तौर पर विस्फोटक से काम उपकरण को इकट्ठा करते समय मौत हो गई थी। मामले में करीब दो हजार पन्ने की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी।
इन्हें किया गया बरी
राहुल पांडे (मृतक), लक्ष्मण राजकोंडवार, संजय चौधरी, रामदास मुलगे, डॉ. उमेश देशपांडे, हिमांशु पानसे (मृतक), नरेश राजकोंडवार (मृतक), मारुति वाघ, योगेश विडोलकर, गुरुराज टुपतेवार, मिलिंद एकताटे, मंगेश पांडे, राकेश धावड़े को न्यायालय ने बरी कर दिया है.
विश्व हिंदू परिषद ने क्या कहा
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने नांदेड़ मामले में आरोपियों को बरी किए जाने को कांग्रेस के मुंह पर ‘‘करारा तमाचा’’ बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पार्टी नेतृत्व से हिंदू समाज से माफी मांगे। कांग्रेस के शासन में आरोपी बनाए गए सभी लोगों को अदालत द्वारा बरी करने से हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने के कांग्रेस के दिवास्वप्न की पोल खुल गई है।
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