कर्नाटक में वक्फ बोर्ड अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह लगातार संपत्तियों पर अपने दावे करता जा रहा है। इसी क्रम में अब वक्फ बोर्ड ने राज्य के ऐतिहासिक शहर श्रीरंगपटना में 70 से अधिक संपत्तियों पर अपना दावा ठोंक दिया है। इन संपत्तियों में सरकारी संपत्तियां, किसानों की जमीनें और ऐतिहासिक स्मारक शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि श्रीरंगपटना तहसील में 70 से अधिक संपत्तियां, जिन पर वक्फ बोर्ड ने अपना क्लेम किया है, उनमें प्रसिद्ध टीपू सुल्तान शस्त्रागार जैसे ऐतिहासिक स्मारक हैं। इसके अलावा एएसआई और राज्य पुरातत्व विभाग संग्रहालय और विरासत विभाग के अंतर्गत शामिल संरचनाएं, कृषकों की जमीनों को आरटीसी भूमि रिकॉर्ड में वक्फ बोर्ड संपत्ति के तौर पर दर्ज कर लिया गया है। इसमें पुरातत्व, संग्रहालय और विरासत विभागस श्री चामराजेंद्र मेमोरियल सरकारी संग्रहालय व श्रीरंगपटना की इमारत को वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज किया गया है।
इसके अलावा शहर में किसानों की जमीनों को आरटीसी कॉलम नंबर 11 में वक्फ बोर्ड की संपत्ति के तौर पर दर्ज कर लिया गया है। इन सब चौंकाने वाली बात ये भी सामने आई है कि महादेवपुरा गांव में स्थित चिकम्मा चिक्कादेवी मंदिर औऱ चंदागलू गांव के सरकारी स्कूल पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंक दिया है। स्टार ऑफ मैसूर की रिपोर्ट के अनुसार, तहसील में सर्वे नंबर 17, 28, 63, 68 और 73 वाली संपत्तियां, जो पहले राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग के आरटीसी में दर्ज थीं, उन्हें भी वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज कर लिया गया।
यहीं नहीं शहर में सर्वे नंबर 758 के अंतर्गत 20 गुंटा सरकारी जमीन अब ‘सरकारी मकान’ के रूप में सूचीबद्ध की गई है। साथ ही यशोधरा जी. नायक के बेटे रघु चैतन्य वाई. नायक से संबंधित सर्वे संख्या 343/1, 343/2, 343/3, 343/4 और 143/5 के तहत 4 एकड़ से अधिक जमीन को भी वक्फ बोर्ड ने अपना करार दे दिया है। भूमि भी कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में दर्ज की गई है। वक्फ बोर्ड की इन मनमानियों ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब पीड़ित वक्फ बोर्ड से कानूनी लड़ाी लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
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