यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने सदैव अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए हिंदू समाज को बदनाम किया है, उस पर फर्जी आरोप लगाए हैं। एक ऐसा ही फर्जी काम आतंकवाद को लेकर भी कांग्रेस ने किया था। 2006 में कांग्रेस ने ‘भगवा आतंकवाद’ या ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्दों को गढ़ कर अपने वोट बैंक को खुश किया था और हिंदुओं को बदनाम किया था। अब उसकी ऐसी करतूतें अदालतों में दम तोड़ रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है नांदेड़ विस्फोट। 4 जनवरी को नांदेड़ के जिला और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सी. वी. मराठे ने इस विस्फोट के सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। ये आरोपी हैं—योगेश देशपांडे, मारुति वाघ, संजय चौधरी, गुरुराज तृप्तेवर, मंगेश पांडे, मुलांजे, मिलिंद एकताथे, डॉ. उमेश दंशपांडे और राकेश धावड़े। अदालत ने कहा कि इन आरोपियों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। लेकिन यही वह घटना थी, जिसके बाद सोनिया—मनमोहन सरकार ने ‘भगवा आतंकवाद’ या ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्दों को गढ़ा था। इसके कुछ ही समय बाद अनेक हिंदू युवकों को ‘आतंकवादी’ बता कर गिरफ्तार किया गया था। ऐसे युवक बिना सबूत के वर्षों तक जेल में बंद रहे।
बता दें कि 6 अप्रैल, 2006 को पाट बंधारे नगर, नांदेड़ में नरेशराज कोंडवार के घर एक विस्फोट हुआ था। इसमें नरेशराज के साथ ही हिमांशु नामक एक और व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। चार लोग घायल भी हुए थे। इस घटना की जांच पहले नांदेड़ के भाग्य नगर थाने की पुलिस ने की। फिर इसकी जांच महाराष्ट्र ए.टी.एस. और अंत में सी.बी.आई. को दे दी गई थी। पहले इसमें 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से चार को सबूतों के अभाव में जांच के दौरान ही छोड़ दिया गया था। बाद में 10 आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी है। अब शेष सभी नौ आरोपी दोषमुक्त हो गए हैं। इस मामले में 49 गवाहों के बयान लिए गए थे। इसमें पुलिस, फोरेंसिक विशेषज्ञ जैसे लोग शामिल थे। इसके बावजूद अदालत ने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध कोई सबूत नहीं है। इसलिए उन्हें बरी किया जाता है। विश्व हिंदू परिषद ने इस निर्णय का स्वागत किया है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक्स पर लिखा, ”नांदेड़ न्यायालय का निर्णय कांग्रेस के गाल पर एक गहरा तमाचा है। 2006 के नांदेड़ विस्फोट मामले में हिंदुओं को ‘आतंकवादी’ साबित करने के कांग्रेसी दिवास्वप्न की पोल खुल गई है।…अब कांग्रेस को हिंदू समाज से क्षमा मांगनी चाहिए।”
2012 से इस मामले की सुनवाई हो रही थी। आरोपपत्र में कहा गया था कि बम विस्फोट में दो लोग मारे गए थे, लेकिन बचाव पक्ष के वकील नितिन रुनवाल का कहना था कि वहां बम विस्फोट नहीं हुआ था, बल्कि पटाखे फूटे थे। अंतत: बचाव पक्ष की दलीलों को न्यायालय ने सही माना और इस आधार पर सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। नितिन रुनवाल ने यह भी बताया, ”इस मुकदमे को लड़ना बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि इसकी जांच हर स्तर पर हुई थी, लेकिन कहते हैं कि सच को आंच नहीं आती है। इसलिए सच की जीत हुई और सभी आरोपी 18 वर्ष बाद खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं।”
इस मामले के एक आरोपी थे राकेश धावड़े। वे भी बरी हुए हैं। बता दें कि राकेश धावड़े को 2008 में मालेगांव बम विस्फोट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उनका नाम नांदेड़ विस्फोट से भी जोड़ दिया गया और पुलिस ने आरोप लगाया कि नांदेड़ में जिन लोगों ने विस्फोट किया था, उन्हें बम बनाने का प्रशिक्षण राकेश ने ही दिया था। राकेश की छोटी बहन नीता धावड़े ने बताया, ”फर्जी मामले गढ़ कर मेरे भाई को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के समय उनकी आयु 39 वर्ष थी। उस समय उनको ढाई वर्ष का बेटा था। वे 12 वर्ष जेल में बंद रहे। इस दौरान पूरे परिवार को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हम लोग मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित होते रहे। हर कोई हम लोगों को संदेह और हेय की दृष्टि से देखता था। मुकदमा लड़ते—लड़ते हम लोग बेहद गरीब हो चुके हैं। मुकदमा के लिए प्राय: पुणे से नांदेड़ जाना पड़ता था। खर्च की कोई सीमा नहीं थी। इस कारण हमारा पूरा परिवार आर्थिक रूप से टूट चुका है। हमारी इस स्थिति के लिए केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है, जिसने ‘हिंदू आतंकवाद’ की फर्जी कहानी गढ़ कर मेरे भैया को जेल में डाल दिया। कांग्रेस ने हमारे पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया।”
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