नई दिल्ली । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए भारत पर निराधार और झूठे आरोप लगाए हैं। शहबाज शरीफ ने कश्मीरियों के तथाकथित “आत्मनिर्णय के अधिकार” की वकालत करते हुए संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रस्तावों का हवाला दिया, लेकिन यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान ने खुद उन प्रस्तावों की शर्तों का कभी पालन नहीं किया। इसके विपरीत, पाकिस्तान ने पीओके और गिलगित-बाल्तिस्तान जैसे क्षेत्रों में अवैध कब्जा करके वहां के नागरिकों के मानवाधिकारों का बेशर्म उल्लंघन किया है।
पाकिस्तान का दुष्प्रचार
5 अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। यह कदम भारत के आंतरिक मामलों का हिस्सा था और इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को देश की विकास की मुख्यधारा से जोड़ना था। इस सुधार के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति, प्रगति, और समृद्धि का नया दौर शुरू हुआ। निवेश में वृद्धि हुई, पर्यटन उद्योग ने रफ्तार पकड़ी, और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित हुए। इसके बावजूद, पाकिस्तान ने इस संवैधानिक सुधार को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गलत तरीके से प्रस्तुत करने का असफल प्रयास किया।
पाकिस्तान की नीतियों का असली चेहरा
पाकिस्तान, जो मानवाधिकारों का स्वयंभू रक्षक बनने की कोशिश करता है, अपने ही देश में बर्बरता और दमन का प्रतीक बन चुका है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आम नागरिकों पर हो रहे अत्याचार और गिलगित-बाल्तिस्तान में जनता का शोषण इसका जीता-जागता उदाहरण है। इन क्षेत्रों के लोग पाकिस्तानी सेना और सरकार के दमनकारी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद न केवल भारत, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। पाकिस्तान ने लंबे समय से आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया है और उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया है। इसके विपरीत, भारत ने हमेशा स्पष्ट और स्थिर रुख अपनाया है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है, और पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रोत्साहित करने के बजाय अपने घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
पाकिस्तान की सच्चाई जान चुकी है दुनिया
पाकिस्तान, जो बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाकर अपनी असफलताओं को छुपाने की कोशिश करता है, अब दुनिया की नजरों में बेनकाब हो चुका है। भारत ने विकास और शांति के एजेंडे को प्राथमिकता दी है, जबकि पाकिस्तान की सरकारें अपने नागरिकों को बुनियादी अधिकारों से भी वंचित रखती रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब पाकिस्तान के झूठे प्रचार और आतंकवाद के समर्थन की सच्चाई को समझ चुका है।
भारत की कड़ी चेतावनी
भारत ने कई बार साफ संदेश दिया है कि कश्मीर पर झूठी बयानबाजी करके पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं होगा। उसे अपने आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करना चाहिए और क्षेत्रीय शांति में बाधा डालने वाले कृत्यों को बंद करना चाहिए। कई बार राष्ट्रीय स्तर से लेकर अतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। पाकिस्तान की झूठी रणनीतियों और कश्मीर पर बेबुनियाद आरोपों के बावजूद भारत शांति, विकास और राष्ट्रीय एकता की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ता रहेगा।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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