गांधी परिवार पर समय के साथ-साथ मुस्लिम वोट जिहाद/तुष्टिकरण के आरोप पुख्ता होते जा रहे हैं। हाल ही में माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य विजयराघवन ने कांग्रेस पार्टी या यूं कहें कि गाँधी परिवार पर वायनाड में राहुल और प्रियंका गांधी की चुनावी जीत के पीछे सांप्रदायिक समर्थन का आरोप लगाकर एक छुपे हुए तथ्य को सबके सामने लेकर बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है।
कांग्रेस पर अभी तक दबी छुपी जुबान से सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगता था, मगर इस बार माकपा के वरिष्ठ नेता द्वारा ऐसा आरोप लगाकर अब इस तथ्य को उजागर ही कर दिया गया है। राहुल गांधी ने 2019 में अमेठी से अपने को स्मृति ईरानी के सामने कमजोर पाकर केरल के वायनाड से नामांकन किया। यह गांधी परिवार के किसी भी सदस्य के द्वारा पहली बार केरल से चुनावी मैदान में उतरना था।
इससे पूर्व में इंदिरा गाँधी ने 1978 में कर्नाटक के चिकमंङ्गलुर और 1980 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मेडक से चुनाव लड़ा था। राहुल गाँधी के इस नए सीट से चुनाव लड़ने में कुछ भी नया नहीं था। इस सीट पर मुस्लिमों का बहुतायत में होना ही सबसे बड़ा कारण था, गाँधी परिवार के इस निर्णय के पीछे। गाँधी परिवार के वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के पीछे यह भी सोच थी कि केरल में मुस्लिम मतों के बटवारे की कोई गुंजाइस नहीं है। देश के कई राज्यों में मुस्लिम मतों के लिए आपस में क्षेत्रीय दलों में या क्षेत्रीय दल और कांग्रेस पार्टी में प्रतिस्पर्धा होती है जो केरल में नहीं है। केरल में ओवैसी की पार्टी का भी कोई चुनाव लड़ने की मंशा नहीं थी। अतएव गाँधी परिवार में बिना किसी बड़े सोच विचार के यह फैसला लिया।
कांग्रेस पार्टी ने 2019 में ही अपनी सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जिसके बल पर कांग्रेस पार्टी केरल में मुस्लिम मत प्राप्त करती है, को राहुल गाँधी के समर्थन के एवज में तमिलनाडु में रामनाथपुरम की सीट दिलवा कर उसके क़र्ज़ को अदा कर चुकी है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग लम्बे समय से केरल की मलप्पुरम (मंजेरी) और पोन्नानी की लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती और जितती रही है। उसकी जीत में 2019 में तमिलनाडु की रामनाथपुरम सीट भी जुड़ गई और 2019 हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में अब इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के तीन लोकसभा सांसद हो गए हैं। 2008 के परिसीमन में मंजेरी और मलप्पुरम में काफी समानता देखी गई।
इतना ही नहीं बल्कि विजयराघवन ने यह भी सबूत पेश किया कि प्रियंका गांधी की रैलियों में चरमपंथी तत्व मौजूद थे। विजयराघवन के अनुसार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वायनाड से अल्पसंख्यक सांप्रदायिक ताकतों के चरमपंथी तत्वों के समर्थन से जीती हैं।
केरल की राजनीति में कांग्रेस पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण ने यूडीएफ बनाकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को इसमें शामिल किया था। तब से मुस्लिमों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस पार्टी नीत यूडीएफ को मिलता रहा है। हाल ही में वायनाड की नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी फिलिस्तीन को समर्पित बैग लेकर संसद गई थीं। यह भी मुस्लिम तुष्टिकरण का ही प्रयास था। हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि प्रियंका गांधी के इस राजनीतिक कदम के पीछे इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का निर्देश आया हो। हमे ये नहीं भुला चाहिए कि केरल के कासरगोड जिले में 2017 में गाजा स्ट्रीट नाम का एक रोड है, जिसे फिलिस्तीन के गाजा स्ट्रिप के तर्ज़ पर नाम दिया गया हैं।
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