उत्तर प्रदेश

संभल एएसआई सर्वे अपडेट : मिल गया बावड़ी का दूसरा तल, सामने आईं पत्थरों से बनी संरचनाएं एवं सीढ़ियां

- चंदौसी के मोहल्ला लक्ष्मणगंज में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम के निर्देशन में 11वें दिन खोदाई का कार्य जारी

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मुरादाबाद (हि.स.) । उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी स्थित मुस्लिम बहुल मोहल्ला लक्ष्मणगंज में मिली प्राचीन बावड़ी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे एवं खोदाई का कार्य लगातार 11वें दिन मंगलवार को भी जारी रहा। एएसआई की टीम के निर्देशन में प्राचीन बावड़ी की खाेदाई और मिट्टी हटाने का काम चल रहा है। आज बावड़ी का दूसरा तल, पत्थरों से बनी संरचनाएं व सीढ़ियां सामने आ गईं। चंदौसी नगर पालिका के 50 मजदूर शाम करीब 5 बजे तक बावड़ी की साफ-सफाई में लगे रहे। इसके बाद खाेदाई रोक दी गयी। अब बुधवार को फिर खाेदाई होगी।

नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि एएसआई की तीन सदस्यीय टीम और नगर पालिका के सहयोग से दर्जनों मजदूर बावड़ी की खोदाई में मंगलवार को भी जुटे रहे। बावड़ी के द्वितीय तल, पत्थरों से बनी संरचनाएं, सुरंगनुमा रास्ते और दर्जनों सीढ़ियां दिखाई देने लगी हैं। बावड़ी के कुएं और गलियारों की पूरी संरचना को साफ करने का कार्य जारी है। वहीं दो दिन पूर्व रविवार काे बावड़ी में एक व्यक्ति के द्वारा शंखनाद करने और कुछ पंपलेट बांटने के बाद से पुलिस व पीएसी का पहरा सख्त हो गया है। स्थानीय प्रशसन ने बावड़ी परिसर में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पूर्व सांसद ने प्राचीन बावड़ी को पुरातत्व विभाग अथवा पर्यटन विभाग को सौंपने की मांग उठाई

एएसआई की देखरेख में जैसे-जैसे खोदाई का कार्य आगे बढ़ रहा है, बहुत सी चीजें स्पष्ट होती जा रही हैं। मुरादाबाद लोकसभा से पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री स्व. रानी इंद्रामोहिनी के बेटे राजा चंद्रविजय सिंह उर्फ बेबी राजा के प्रतिनिधि कौशल किशोर ने बीते दिन संभल जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया को दिए प्रार्थना पत्र में चंदौसी स्थित मोहल्ला लक्ष्मणगंज में प्राचीन बावड़ी को पुरातत्व विभाग अथवा पर्यटन विभाग को सौंपने की मांग की ताकि संभल जनपद के साथ पूरे मुरादाबाद मंडल के लोगों को एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में पर्यटन का स्थाना मिल सके। मंगलवार को पूर्व सांसद राजा चंद्र विजय सिंह उर्फ बेबी राजा ने कहा कि चंदौसी में मिली प्राचीन बावड़ी एक अनोखी धरोहर है। उनके पूर्वज बताया करते थे कि उत्तर प्रदेश में बावड़ी निर्माण कम ही स्थानों पर होता था।

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