नई दिल्ली । दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। इसी बीच, कांग्रेस नेता और नई दिल्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आम आदमी पार्टी (AAP) के दो प्रमुख नेताओं, आतिशी और संजय सिंह, के खिलाफ क्रिमिनल और सिविल मानहानि का मुकदमा दायर करने की घोषणा की है।
संदीप दीक्षित ने कहा, “मैं इन दोनों नेताओं पर 10 करोड़ रुपये का मानहानि का केस करूंगा। अगर मैं इस केस में मुआवजा जीतता हूं, तो इस धनराशि का इस्तेमाल यमुना की सफाई और दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए किया जाएगा।”
AAP नेताओं पर गंभीर आरोप
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया था कि संदीप दीक्षित ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से धन लिया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दीक्षित ने कहा कि यह पूरी तरह से निराधार और झूठा आरोप है। उन्होंने AAP के बयानों को “राजनीतिक छल” करार दिया।
उन्होंने कहा, “पिछले कई वर्षों से कांग्रेस और मेरे परिवार पर बेबुनियाद आरोप लगाए जाते रहे हैं। शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ भी ऐसे ही आरोप लगाए गए थे, जिनमें तथाकथित 360 पन्नों के सबूत पेश करने का दावा किया गया था। लेकिन जब भाजपा ने उन सबूतों की मांग की, तो अरविंद केजरीवाल सरकार कोई भी ठोस जानकारी पेश करने में विफल रही। उनके पास कभी कोई सबूत था ही नहीं, बस अखबारों की कटिंग के सहारे राजनीति की जा रही थी।”
AAP सरकार की नीतियों पर हमला
संदीप दीक्षित ने AAP सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और वादों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल बार-बार लोकपाल और एंटी-करप्शन ब्यूरो की बात करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने इन संस्थानों का कोई उपयोग नहीं किया। अगर उनके पास हमारे खिलाफ कोई ठोस सबूत थे, तो उन्होंने उन सबूतों को अदालत में क्यों नहीं पेश किया?”
दीक्षित ने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी चुनाव के दौरान वादों की झड़ी लगा देती है, लेकिन सत्ता में आने के बाद इन वादों को लागू करने में पूरी तरह असफल रहती है।
AAP पर परिवार को निशाना बनाने का आरोप
संदीप दीक्षित ने कहा कि बीते 10-12 वर्षों से उनके परिवार को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह निराशाजनक है कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए हमारे परिवार पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। जनता को यह समझना होगा कि यह सब केवल ध्यान भटकाने और वास्तविक मुद्दों से दूर करने की कोशिश है।”
बरहाल संदीप दीक्षित के आरोपों और कानूनी कदम ने सत्तारूढ़ पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा कितना प्रभाव डालता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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