जैसे-जैसे नया साल करीब आता है, हर तरफ उत्साह और उमंग का माहौल बनता है। लोग अपने-अपने तरीके से नए साल के स्वागत की तैयारियों में जुट जाते हैं। लेकिन इसी बीच दारुल इफ्ता द्वारा जारी किए गए एक फतवे ने चर्चा का विषय बना दिया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दारुल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने नए साल के जश्न और बधाई को इस्लामी शरीयत के तहत नाजायज करार दिया है।
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने फतवा किया जारी-
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने फतवे में कहा है कि नया साल जनवरी से शुरू होता है, जो अन्य धर्मों का नया साल है। उन्होंने इसे गैर-इस्लामी धार्मिक परंपरा बताया और कहा कि मुसलमानों को इस तरह की परंपराओं में शामिल नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि इस्लाम में गैर-धार्मिक प्रथाओं और समारोहों को अपनाना या उनमें भाग लेना सख्त मना है।
फतवे में बताए गए गैर-इस्लामी गतिविधियां-
फतवे में नए साल के जश्न से जुड़ी कई गतिविधियों को इस्लामी शरीयत के तहत नाजायज बताया गया है, जिनमें शामिल हैं-
- आतिशबाजी करना
- शोर-शराबा, ताली बजाना और सीटी बजाना
- नाचना-गाना और हुड़दंग करना
- शराब पीना और जुआ खेलना
- लाइट जलाना और पार्टी करना
- व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शुभकामनाएं भेजना
फतवे में यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति इन गतिविधियों में भाग लेता है, तो वह इस्लामिक शरीयत के अनुसार गुनाहगार माना जाएगा।
मुसलमानों को दी सलाह
फतवे में विशेष रूप से युवा पीढ़ी को नए साल का जश्न न मनाने की हिदायत दी गई है। मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि वे गैर-इस्लामी गतिविधियों से बचें और अपने जीवन को शरीयत की रोशनी में चलाएं। उन्होंने अन्य धर्मों के धार्मिक त्योहारों और कार्यक्रमों में भाग लेने से भी मना किया है।
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