ब्रह्मपुत्र नदी को बांधने चला चीन: 137 अरब डॉलर से बनाएगा सबसे बड़ा जल हथियार, भारत और बांग्लादेश के लिए होगा गंभीर खतरा
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ब्रह्मपुत्र नदी को बांधने चला चीन: 137 अरब डॉलर से बनाएगा सबसे बड़ा जल हथियार, भारत और बांग्लादेश के लिए होगा गंभीर खतरा

चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर 137 अरब डॉलर की लागत से दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की घोषणा की है। यह परियोजना भारत और बांग्लादेश के लिए जल संकट और बाढ़ का खतरा पैदा कर सकती है। जानिए इस प्रोजेक्ट के पर्यावरणीय और भू-राजनीतिक प्रभाव।

by SHIVAM DIXIT
Dec 27, 2024, 04:31 pm IST
in भारत, विश्व
चित्र प्रतीकात्मक है इसे AI की मदद से तैयार किया गया है

चित्र प्रतीकात्मक है इसे AI की मदद से तैयार किया गया है

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चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर 137 अरब डॉलर की लागत से दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण की योजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना ने भारत और बांग्लादेश जैसे तटवर्ती देशों में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा करते हुए बताया कि यह बांध यारलुंग त्सांगपो नदी (भारत में जिसे ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है) पर बनाया जाएगा। यह नदी तिब्बत से होते हुए अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश की ओर बहती है।

ऊर्जा उत्पादन में विश्व रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी

चीन का यह महाशक्तिशाली बांध ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है। शिन्हुआ के अनुसार, इस बांध से इतनी बिजली उत्पन्न होगी, जो चीन के पहले से चर्चित थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना अधिक होगी। थ्री गॉर्जेस डैम वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा बिजली उत्पादन करने वाला बांध है। नए बांध की योजना हिमालय के करीब स्थित एक गहरी घाटी में तैयार की गई है, जो इंजीनियरिंग के लिहाज से एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

खतरों पर विशेषज्ञों की चेतावनी

इस बांध निर्माण की घोषणा के बाद विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने कई खतरों की ओर इशारा किया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह बांध धरती पर चल रहे किसी भी सिंगल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पीछे छोड़ देगा। वहीं, कई विशेषज्ञ इसे चीन की एक सोची-समझी रणनीति मानते हैं। उनका कहना है कि इस दैत्याकार बांध का उपयोग चीन भविष्य में एक जल-हथियार के रूप में कर सकता है।

विशेषज्ञों की राय में इस बांध से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में गंभीर बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है। इस प्रकार का कदम चीन और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद को और भी जटिल बना सकता है। बांग्लादेश के लिए भी यह परियोजना बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण वहां के कृषि और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

पर्यावरणीय और भू-राजनीतिक प्रभाव

इस परियोजना के पर्यावरणीय खतरों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि इतना बड़ा बांध हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, नदी के प्रवाह में बड़े पैमाने पर बदलाव नीचे के देशों के जल संसाधनों को प्रभावित कर सकता है।

भू-राजनीतिक दृष्टि से, यह बांध दक्षिण एशियाई क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है। भारत और बांग्लादेश जैसे देशों ने पहले भी चीनी जल प्रबंधन की योजनाओं पर आपत्ति जताई है। ऐसे में यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय जल-संधियों और संबंधों के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकती है।

चीन की मंशा पर सवाल

कई विशेषज्ञ यह सवाल उठा रहे हैं कि इतनी महंगी परियोजना के पीछे चीन की मंशा क्या है। उनका कहना है कि यह सिर्फ ऊर्जा उत्पादन का मामला नहीं है, बल्कि यह चीन की रणनीतिक महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता है। बांध के निर्माण से न केवल ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश के लिए पानी को एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की संभावना को भी जन्म देगा।

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