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‘सरकारी नियंत्रण से मुक्त हों हिंदू मंदिर’, विहिप ने की देशव्यापी अभियान की घोषणा

- विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे के अनुसार- यह अभियान विजयवाड़ा में ‘हैंदव शंखारावम’ के विराट समागम से प्रारंभ होगा।

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WEB DESK

नई दिल्ली । हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के उद्देश्य से विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अगले महीने से देशव्यापी जन-जागरण अभियान शुरू करने की घोषणा की है। विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान इस अभियान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अभियान हिंदू समाज को मंदिरों के प्रबंधन और उनके दैनंदिन कार्यों का अधिकार दिलाने के लिए चलाया जाएगा।

मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण भेदभावपूर्ण

मिलिंद परांडे ने राज्य सरकारों पर हिंदू समाज के प्रति भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारों को मंदिरों के प्रबंधन से अविलंब हट जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही यह अपेक्षा थी कि मंदिरों का प्रबंधन हिंदू समाज को सौंपा जाएगा, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 की अनदेखी करते हुए राज्य सरकारें मंदिरों की संपत्तियों और प्रबंधन पर कब्जा जमाए बैठी हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब मस्जिदों और चर्चों पर सरकारी नियंत्रण नहीं है, तो हिंदू मंदिरों के साथ यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है?

अभियान का शुभारंभ विजयवाड़ा में

विहिप का यह अखिल भारतीय जन-जागरण अभियान 5 जनवरी से आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित ‘हैंदव शंखारावम’ नामक विराट समागम से शुरू होगा। इस समागम में लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना है। परांडे ने बताया कि इस अभियान के तहत देशभर में हिंदू समाज को जागरूक किया जाएगा ताकि मंदिरों की संपत्तियों और प्रबंधन को सुरक्षित रखा जा सके और उनका उपयोग समाज की सेवा और धर्म प्रचार के लिए किया जा सके।

संवैधानिक प्रारूप की तैयारी

विहिप ने मंदिरों के प्रबंधन को समाज को सौंपने के लिए एक विस्तृत प्रारूप तैयार किया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि मंदिरों का संचालन हिंदू समाज के निष्ठावान और दक्ष लोग करें। इसके लिए विहिप ने संतों, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सर्वोच्च न्यायालय के वकीलों और विद्वानों की एक टीम बनाई है। इस प्रारूप के तहत राज्य स्तर पर धार्मिक परिषद बनाई जाएगी, जो जिला स्तर की परिषद और मंदिरों के न्यासियों का चुनाव करेगी।

परांडे ने बताया कि इस प्रक्रिया में अनुसूचित जाति, जनजाति और समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। विवादों के निस्तारण के लिए भी एक तय प्रक्रिया बनाई जाएगी।

अन्य मांगें और निर्देश

विहिप ने मांग की है कि मंदिरों में नियुक्त सभी गैर-हिंदुओं को हटाया जाए और पूजा-अर्चना, प्रसाद और सेवा का कार्य केवल आस्थावान हिंदुओं को सौंपा जाए। इसके अलावा मंदिरों के न्यासियों और प्रबंधन में किसी भी राजनेता या राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्तियों को शामिल न करने का आग्रह किया गया है।

विहिप ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर की आय का उपयोग केवल हिंदू धर्म के प्रचार और उससे संबंधित गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए। मंदिर की जमीन पर गैर-हिंदुओं द्वारा किए गए अवैध निर्माणों को भी हटाने की मांग की गई है।

राजनीतिक और सामाजिक समर्थन की कोशिश

विहिप ने इस मुद्दे पर देश के विभिन्न राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों से चर्चा की है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को इस प्रस्ताव का प्रारूप सौंपा जा चुका है। विहिप की यह योजना अन्य राज्यों और राजनीतिक दलों से भी चर्चा में है।

बता दें कि यह अभियान हिंदू समाज को मंदिरों के प्रबंधन में स्वतंत्रता और अधिकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विहिप का उद्देश्य है कि मंदिरों की संपत्तियों का सही उपयोग हो और उनका लाभ समाज को मिले। इस अभियान की सफलता में समाज के हर वर्ग की भागीदारी और जागरूकता महत्वपूर्ण होगी।

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