देहरादून: राज्य कर विभाग इन दिनों इस बात का आंकलन करने में जुटा हुआ है कि उत्तराखंड में चल रहे सैलून व्यापार से राज्य को कितनी GST प्राप्त हो रही है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में एका एक महंगे सैलून खुल गए हैं और वे महंगे किराए पर अपने शो रूम खोल रहे हैं, ऐसे में उनके द्वारा लिए जा रहे सेवा शुल्क पर GST कितना आ रहा है? इस पर आंकलन किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, सीएम पोर्टल पर दर्ज एक शिकायत के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बारे में वित्त मंत्रालय को निर्देशित किया गया है। वित्त मंत्रालय के अधीन ही राज्य कर संग्रह विभाग है।
जिससे ये जानकारी दिए जाने के अपेक्षा की गई है कि सैलून के महंगे शुल्क से राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित GST से कितना राजस्व आ रहा है? सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में वित्त सचिव का ध्यान इस ओर दिलाया गया है कि इन सैलून के पंजीकरण हुए है कि नहीं? यदि हुए है तो उनसे कितना राजस्व मिल रहा है ? इनकी आय को कैसे दर्शाया जाता है? क्या ये एक मुश्त GST दे रहे है? या बिलिंग के हिसाब से GST ग्राहकों से ले रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, हेयर कटिंग, हेयर कलर, ट्रीटमेंट अन्य सौंदर्य मद में GST कोड 999721, कोड 999722 और 999729 में सैलून द्वारा 18 प्रतिशत GST लगाए जाने का नियम सरकार द्वारा तय किया गया। एक जानकारी ये भी है सौंदर्य उपचार को GST से मुक्त किया गया है जिसका फायदा सैलून वाले उठाते रहे हैं। राज्य कर इस चोरी को रोकने के लिए अपना आंकलन या सर्वे शुरू करने जा रहे हैं।
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सैलून व्यापार में मल्टीनेशनल कंपनियां वीएलवीसी, लैक्मे, गीतांजलि जैसे ब्रांड भी है और वो GST नियमों का पालन करते हुए अपनी बिलिंग करते रहे हैं। लेकिन, अपना काम कर रहे बारबर महंगे सैलून खोल कर बिना बिलिंग के अपने कारोबार को कर रहे हैं।
सत्यापन भी किया जाएगा
एक महत्वपूर्ण जानकारी ये प्राप्त हुई है कि उत्तराखंड सरकार सैलून में काम करने वाले मालिक और उनके कर्मचारियों का एड्रेस वेरिफिकेशन भी अनिवार्य कर रही है।
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