भारत की जनता कांग्रेस पार्टी को लम्बे समय से उनके राजनीतिक पापो की सजा दे रही हैं.जनता अब कांग्रेस पार्टी के द्वारा पूर्व में किये गए पापो का लेखा जोखा करते हुए उसके उसकी असली राजनीतिक स्थान पर पहुँचाती जा रही हैं. जनता का कांग्रेस पार्टी के प्रति आक्रोश का ही परिणाम हैं की कांग्रेस पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी नेता का पद प्राप्त करने वास्ते न्यूनतम संख्या बल भी लोकसभा चुनाव में प्राप्त करने में विफल रही.
आश्चर्य की बात हैं की गांधी परिवार ने उस समयकाल में अपने को नेपथ्य में रखा और पार्टी के अन्य नेतावो को पार्टी में सामने खड़ा करके जनता में यह आभास करवाया की गाँधी परिवार अब कांग्रेस पार्टी में सत्ता के सञ्चालन से अपने को दूर कर रही हैं. कांग्रेस पार्टी ने जनता को भ्रमित करने वास्ते पिछले लोकसभा में राहुल गांधी के संसद में रहने के बावजूद भी पश्चिम बंगाल के अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया.
मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार में अपना चिर परिचित रवैया दिखाते हुए अधीर रंजन चौधरी फिर से संसद में नहीं पहुंचे इसकी पूरी पटकथा तैयार किया.अगर अधीर रंजन चौधरी वर्तमान लोकसभा के सदस्य होते तो गांधी परिवार को राहुल गांधी को विपक्ष का नेता नियुक्त करने में पार्टी के अंदर असंतोष हो सकता था . लम्बे समय तक अगर गाँधी परिवार के बाहर का व्यक्ति नेता रहे तो परिवार का पार्टी पर पकड़ कमजोर हो जाता अतएव गाँधी परिवार ने यह सोची समझी खेल खेला. अधीर रंजन चौधरी के संसद में नहीं होने का गांधी परिवार ने पूरा फायदा उठाया और राहुल गांधी को नेता विपक्ष का पद सौंप दिया, मगर जनता ने गांधी परिवार के इस कदम का भरपूर प्रतिउत्तर दिया और लोकसभा चुनाव के बाद हुए चार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में उपचुनावों में पार्टी को बुरी हार का उपहार दिया.
मगर यह बात भी गौर करने वाली हैं की गाँधी परिवार ने यहाँ भी पार्टी के साथ धोखाधड़ी ही किया, महाराष्ट्र, झारखण्ड के साथ केरल के वायनाड लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हुआ. वायनाड लोकसभा की सीट राहुल गांधी द्वारा राय बरेली और वायनाड दोनों सीटों से चुनाव जीतने के बाद वायनाड सीट खाली करने के कारण उपचुनाव कराए गए थे. मगर इस पूरे चुनाव प्रक्रिया में गांधी परिवार ने पार्टी का पूरा संसाधन सिर्फ एक सीट वायनाड के लिए ही इस्तेमाल किया.
परिणामतः कांग्रेस पार्टी का वायनाड को छोड़कर सभी चुनावों में बहुत ही बुरा हाल हुआ.गांधी परिवार का पूरा ध्यान केवल अपने परिवार को कांग्रेस पार्टी की राजनीति में मजबूत करना हैं. वायनाड लोकसभा की सीट पर गाँधी परिवार के जीत का अंतर् बढ़ जाता हैं वही उसी समयकाल में अन्य चुनावों में कांग्रेस पार्टी बुरी हार हारती हैं.
यह गांधी परिवार का परिवार और पार्टी के प्रति दोहरा रवैया का ही परिणाम हैं. गाँधी परिवार का पूरा ध्यान केवल अपने परिवार को आगे बढ़ाना हैं इसके लिए पार्टी का कितना बड़ा भी घाटा क्यों नहीं हो.??
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