संभल । संभल इन दिनों फिर से चर्चा में है। हाल ही में हरिहर मंदिर को लेकर हुए सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई के दौरान एक 46 साल से बंद कार्तिकेय महादेव मंदिर का पता चला। यह मंदिर नखासा के खग्गू सराय क्षेत्र में स्थित है, जो सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का इलाका है। प्रशासन द्वारा मंदिर के कपाट खोले जाने और अतिक्रमण हटाए जाने के बाद हिंदू समुदाय के लोग यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंचने लगे हैं।
ASI ने किया मंदिर का सर्वे
शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की चार सदस्यीय टीम ने कार्तिकेय महादेव मंदिर और अन्य 24 तीर्थ स्थलों का सर्वे किया।
- टीम ने करीब 9-10 घंटे तक सर्वेक्षण किया।
- सर्वेक्षण में मंदिर के अलावा चक्रपाणि तीर्थ, भद्रिका तीर्थ और 19 कूपों को भी शामिल किया गया।
- डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि मंदिर की ऐतिहासिकता की जांच के लिए कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
कैसे खोले गए मंदिर के कपाट?
बता दें कि 14 दिसंबर को बिजली चोरी और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के दौरान नखासा के खग्गू सराय क्षेत्र में प्रशासन को यह प्राचीन मंदिर मिला। इस कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट पिछले 46 साल से बंद थे। जिसके बाद प्रशासन ने अतिक्रमण हटाकर मंदिर को साफ-सुथरा कराया और इसके कपाट खोले। इसी मंदिर मंदिर के पास एक पुराना कुआं भी मिला, जिस पर स्थानीय मुस्लिमों का अतिक्रमण था। इसके बाद मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और पूजा-अर्चना की व्यवस्था की गई।
जिलाधिकारी का बयान
डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि मंदिर की ऐतिहासिकता और प्राचीनता की पुष्टि के लिए ASI को चिट्ठी लिखी गई थी। पुरातत्व सर्वेक्षण टीम ने मंदिर की संरचना, प्राचीन कूपों और अन्य स्थलों का अध्ययन किया। टीम के निष्कर्षों का उपयोग मंदिर के महत्व को उजागर करने और इसे संरक्षित करने के लिए किया जाएगा।
हिंदू समुदाय में उत्साह
मंदिर के खुलने के बाद हिंदू समुदाय के लोग बड़ी संख्या में यहां पूजा-अर्चना के लिए आ रहे हैं। वहीं स्थानीय लोग प्रशासन की इस पहल की सराहना कर रहे हैं। लोगों ने प्रशासन के साथ मिलकर मंदिर के आसपास के क्षेत्रों को साफ-सुथरा कर धार्मिक गतिविधियों के लिए अनुकूल बनाया गया है।
बरहाल संभल का यह ऐतिहासिक मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। ASI के सर्वेक्षण से मंदिर की प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्व को और अधिक समझने में मदद मिलेगी। प्रशासन की यह पहल हिंदू समुदाय के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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