ब्रिटेन बन रहा शरिया कोर्ट के लिए पश्चिम की राजधानी? लगातार बढ़ती जा रही शरिया अदालतों की संख्या
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

ब्रिटेन बन रहा शरिया कोर्ट के लिए पश्चिम की राजधानी? लगातार बढ़ती जा रही शरिया अदालतों की संख्या

ब्रिटेन में शरिया अदालतों की संख्या बढ़कर 85 हो गई है। समानांतर कानून के बढ़ते प्रभाव और महिलाओं के अधिकारों पर उठे सवाल।

by सोनाली मिश्रा
Dec 20, 2024, 09:00 pm IST
in विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

ब्रिटेन के विषय में एक बहुत ही चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। यह रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन में शरिया अदालतें इस सीमा तक बढ़ गई हैं कि वह पश्चिम की शरिया अदालतों की राजधानी बनकर उभरा है।

ब्रिटेन में वर्ष 1982 में पहली शरिया अदालत बनी थी, जिनकी संख्या अब बढ़कर 85 हो गई है।

द टाइम्स ने इसे लेकर एक पड़ताल की तो यह पता चला कि ब्रिटेन में शरिया अदालतों का चलन बहुत ही तेजी से बढ़ा है और ब्रिटेन में बसे मुस्लिमों के निजी मामलों में ब्रिटेन का नहीं बल्कि शरिया का कानून चलता है। ब्रिटेन में मुस्लिमों के बीच एक से ज्यादा निकाह आम हो चुके हैं और अब एक ऐप्लकैशन भी बनाई गई है, जिसमें इस्लामिक वसीयत की शुरुआत की गई है।

टाइम्स के अनुसार इस ऐप्लकैशन में यह तक आदमी भर सकते हैं कि उसके कितनी बीवियाँ हैं और ये एक से चार के बीच में होती हैं। इसे लेकर जीबी न्यूज़ ने भी लिखा कि ये मजहबी निकाय बहुत ही ज्यादा प्रभावी हो गए हैं और यहाँ पर पूरे यूरोप और उत्तरी अमेरिका से मुस्लिम लोग आ रहे हैं, जो निकाह और परिवार के मामलों पर मजहबी फैसला चाहते हैं।

इसी एप में बताया गया है कि मुस्लिम लड़कियों को उनके अब्बा की जायदाद आदि में भाइयों की तुलना में आधा हिस्सा ही मिलेगा। जीबी न्यूज़ के अनुसार नेशनल सेक्युलर सोसाइटी ने ब्रिटेन में इन समानांतर कानूनी व्यवस्थाओं के बारे में चिंता व्यक्त की है।

सोसाइटी के चीफ इग्ज़ेक्यटिव स्टीफेन एवन्स ने चेतावनी दी कि ये सभी शरिया अदालतें सभी के लिए समान कानून के सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं। टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में लगभग एक लाख के करीब इस्लामिक निकाह हुए हैं, जिन्हें सरकार की संस्थाओं के साथ पंजीकृत नहीं कराया गया है।

इसका अर्थ यह हुआ कि शरिया अदालतें अपनी एक समानांतर सत्ता चला रही हैं। लोगों का कहना है कि शरिया अदालतें इस्लाम की पुरानी अवधि के फैसलों के हिसाब से फ़ैसले दे रही हैं, माने 7 वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक।

शरिया अदालतों पर लोगों की चिंता

इन शरिया अदालतों को लेकर लोगों की चिंताऐं बढ़ी हुई हैं, क्योंकि ये केवल दूसरे समुदायों के बीच ही भ्रम पैदा नहीं करती हैं, बल्कि ये तो इस्लाम में लड़कियों के ही हकों को छीन लेती हैं। सेक्युलर सोसाइटी के चीफ इग्ज़ेक्यटिव स्टीफन एवन्स ने कहा कि ये अदालतें महिलाओं के लिए नुकसानदायक हैं। उन्होनें कहा कि यह याद रखा जाना चाहिए कि शरिया अदालतें केवल इसलिए मौजूद हैं क्योंकि मुस्लिम औरतों को दीन के हिसाब से तलाक चाहिए होता है। मुस्लिम आदमी तो अपनी बीवियों को एकतरफा तलाक दे सकते हैं।

मुस्लिम औरतों ने भी यह शिकायतें की कि जो भी मजहबी टेक्स्ट है, वह उन्हें नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल होता है क्योंकि कुछ आदमी हदीस का इस्तेमाल करते हुए इस बात पर जोर देते हैं कि बीवी को शौहर के साथ शारीरिक संबंधों के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

ब्रिटेन की सबसे प्रमुख शरिया अदालतों में से एक की स्थापना हैथम अल-हद्दाद ने की थी, जिन्हें अपने विवादास्पद विचारों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। अल-हद्दाद उन मुस्लिमों में से थे, जिन्होंने अफ़गानिस्तान पर फिर से कब्ज़ा करने के बाद तालिबान से मुलाक़ात की थी।

ये वही अल हद्दाद हैं जिन्होनें वर्ष 2009 में एक अनलाइन लेक्चर में यहाँ तक कहा था कि अगर एक शौहर बीवी को मार रहा है तो शौहर से सवाल नहीं करने चाहिए, क्योंकि वह उनका आपस का मामला है। हालांकि टाइम्स के साथ बातचीत में इस विषय पर उन्होनें कहा कि उनका यह इरादा नहीं था कि शौहरों से बीवियों को मारने पर सवाल न किया जाए, वह तो केवल निकाह बचाने की जरूरत पर बात कर रहे थे।

मुस्लिमों के लिए शरिया अदालतें और उनके फैसले अफगानिस्तान आदि में काफी चर्चित रहते हैं, जिनमें त्वरित या कहें तत्काल फैसला सुनाया जाता है। मगर यह ब्रिटेन में भी हो रहा होगा और मुस्लिम लड़कियां वहाँ पर भी उसी कैद का शिकार हैं, जिस कैद का शिकार वे कट्टर मुस्लिम मुल्कों में हैं, इस पर सहज विश्वास किसी को नहीं होगा। मगर टाइम्स की इस रिपोर्ट के बाद लोग इस पर बात करेंगे।

सरकार की ओर से शरिया अदालतों पर रुख एकदम साफ है कि वे इंग्लैंड और वेल्स में किसी भी प्रकार से किसी कानून का हिस्सा नहीं है।

 

Topics: नेशनल सेक्युलर सोसाइटी शरिया अदालतIslamic law in UKहैथम अल-हद्दाद विवादब्रिटेन में इस्लामिक कानूनSharia courts in UKSharia law and women's rightsब्रिटेन में शरिया अदालतेंSharia court controversy UKशरिया कानून और महिलाओं के अधिकारIslamic Nikah UKशरिया अदालत विवाद ब्रिटेनUK parallel legal systemइस्लामिक निकाह ब्रिटेनSharia courts and exploitation of womenब्रिटेन समानांतर कानूनी प्रणालीNational Secular Society Sharia courtशरिया अदालत और महिलाओं का शोषणHaitham al-Haddad controversy
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies