दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे इस्लामिक कट्टरपंथ के बीच अब इंडोनेशिया और मिस्र भी किर्गिस्तान की तरह की उदार बनना चाहते हैं। लेकिन, इन दोनों ही देशों का कहना है कि वे दुनियाभर में चरमपंथ और इस्लामोफोबिया से मुकाबले के लिए इस्लाम का उदार स्वरूप पेश करना चाहते हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांटो और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने काहिरा में इस बात पर रजामंदी जताई।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांटो मिस्र की यात्रा पर पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच राष्ट्रपति में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान दुनिया में इस्लामी चरमपंथ के कारण इस्लाम की गिरती साख को लेकर भी चर्चा हुई। इस मौके पर सुबियांटो ने अपनी इच्छा जताते हुए कहा कि हम इस्लाम के एक ऐसे उदार संस्करण को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें सभी के लिए सहिष्णुता हो। न कि ये इस्लाम लोगों के प्रति घृणा और नफरत से भरा हो।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति का कहना है कि दुनिया में इस्लाम के खिलाफ फैले किसी भी संदेहों को दूर करने की आवश्यकता है। प्रोबोवो ने दावा किया कि इस्लाम में शांति का पैगाम है। उल्लेखनीय है कि मिश्र के अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में इंडोनेशिया के करीब 15,000 छात्र पढ़ते हैं।
गौरतलब है कि किर्गिस्तान भी एक इस्लामिक राष्ट्र है, लेकिन वहां की सरकार ने शुरू से ही इस्लामी चरमपंथ से निपटने के लिए कड़े कानून लागू कर रखे हैं। ऐसे में इंडोनेशिया और मिस्र जहां पर इस्लामी चरमपंथ तेजी से बढ़ा है, वहां पर अब उदारवाद की शुरुआत होगी, या फिर ये सब महज जुबानी बातें रह जाएंगी इसका जबाव भविष्य की गर्त में है।
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