देश के कुछ शिक्षण संस्थान वामपंथियों और कट्टरपंथियों का अड्डा सा बन गए हैं। इन संस्थानों में दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कुख्यात हैं। यहां से कुछ वामपंथी और कट्टरपंथी मानसिकता से सने छात्र लगातार देश को कमजोर करने वाली हरकतों को अंजाम देते रहते हैं। इसी क्रम में एक बार फिर से जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मजहबी और उन्मादी नारेबाजी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, मौका था 15 दिसंबर 2019 को वामपंथियों के उत्पातों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध का। जामिया के वामपंथी और कट्टरपंथी छात्र इसे बरसी के तौर पर मना रहे हैं। इस मौके पर विश्वविद्यालय में कट्टरपंथी छात्रों की ओर से एक सीएए-एनआरसी के विरोध और पुलिल एक्शन के खिलाफ एक रैली आयोजित की जाती है। इस मौके पर जमकर हंगामा किया गया। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ‘तेरा मेरा रिश्ता किया, ला इलाहा इल्लल्लाह’ समेत कई अन्य मजहबी और उन्मादी नारेबाजी की।
पुलिस पर अत्याचार का आरोप लगाते हुए कट्टरपंथी छात्रों ने ये आयोजन किए थे। देर रात तक पूरे विश्वविद्यालय कैंपस में बवाल काटा गया। विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी हुई। इससे ठीक एक दिन पहले से ही इन चुनिंदा छात्रों ने कक्षाओं को बंक कर दिया। कक्षाएं नहीं चल सकीं। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोशिएसन (AISA) की ओर से किया गया था।
मामला कुछ 5 साल पहले 15 दिसंबर 2019 का है, जब सीएए और एनआरसी का विरोध रहे जामिया के छात्रों ने जमकर बवाल काटा। विश्वविद्यालय परिसर के अंदर ही इन्होंने तोड़फोड़ की। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद दिल्ली पुलिस को कैंपस में घुसकर इन्हें पकड़ना पड़ा था। वहीं विरोध को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैंटीन और लाइब्रेरी को बंद कर दिया था। ताकि छात्रों को इन प्रदर्शनों में शामिल होने से रोका जा सके।
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