कांग्रेस की ये पुरानी रीत रही है कि अगर वो कहीं पर चुनावी जीत हासिल कर ले तो वो लोकतंत्र की जीत और जनता का फैसला हो जाता है। लेकिन, अगर चुनाव हार जाए तो ईवीएम बदनाम होने लगती है। कांग्रेसी नेता ईवीएम को लेकर रोना रोने लगते हैं कि ईवीएम में तो धांधली की गई है, अब बैलेट पेपर से चुनाव कराओ। इन्हीं मुद्दों पर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के सहयोगी और प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को आईना दिखाया है।
उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस के 100 सांसद इसी ईवीएम से जीत कर संसद पहुंचते हैं तो आप इसका जश्न मनाते हैं, लेकिन कुछ महीने के बाद आप ये नहीं कह सकते हैं कि आपको ये ईवीएम पसंद ही नहीं है, क्योंकि चुनाव परिणाम वैसे नहीं रहे, जैसा कि आप चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में महाराष्ट्र में जिस प्रकार से महाविकास आघाड़ी को हराकर भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की थी, उसके तुरंत बाद से कांग्रेस और उसके सहयोगी दल लगातार ईवीएन को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
क्या एनसीपी चीफ शरद पवार, क्या राहुल गांधी और क्या संजय राउत, सभी बस ईवीएम को कोसने में लगे हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं। उमर अब्दुल्लाह का कहना है कि अगर किसी पार्टी को लगता है कि ईवीएम में समस्या है तो उसे चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए। अगर किसी को ईवीएम से समस्या है तो हर परिस्थिति में आपका रुख एक समान ही होना चाहिए।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की तारीफ
यहीं नहीं उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की भी सराहना की है। उनका कहना है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के साथ जो भी हो रहा है, वो सही है। नया संसद भवन बेहतरीन विचार था। उमर अब्दुल्लाह ये भी कहते हैं कि पुराना संसद अपनी उपयोगिता खो चुका था। हमें नए संसद भवन की आवश्यकता थी।
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