देहरादून । अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर देहरादून के रेंजर्स कॉलेज मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया गया। इस सभा के बाद एक भव्य विरोध मार्च निकाला गया, जो रेंजर्स कॉलेज मैदान से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख स्थलों से होते हुए समाप्त हुआ। इस आयोजन में विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, और नागरिक संगठनों के साथ-साथ हजारों की संख्या में आम नागरिकों ने भाग लिया।
सभा में वक्ताओं ने किया मानवाधिकार की रक्षा का आह्वान
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अमानवीय कृत्यों की कड़ी निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इन घटनाओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएं।
वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा-
- “यह केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के नैतिक मूल्यों और न्याय की लड़ाई है।”
- हिंदू, बौद्ध, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के घरों को जलाया जा रहा है, उनकी बहन-बेटियों के साथ हिंसा की जा रही है, और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है।
- ज़बरदस्ती धर्मांतरण और सामाजिक बहिष्कार जैसे घृणित कृत्य किए जा रहे हैं।
वक्ताओं ने कहा कि इन घटनाओं ने मानवाधिकारों के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को उजागर कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांगे गए ठोस कदम
वक्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों से निम्नलिखित मांगें की:
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को बांग्लादेश में स्वतंत्र जांच की अनुमति दी जाए।
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों को बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे।
- बांग्लादेश सरकार को चेतावनी दी जाए कि यदि अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार नहीं रुका, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी।
आयोजन में भाग लेने वाले प्रमुख संगठन
इस विरोध मार्च और जनसभा में संत समाज, व्यापार मंडल, महिला शक्ति वाहिनी, गढ़वाल भ्रातृ मंडल, श्री गुरु सिंह सभा, वाल्मीकि क्रांति मोर्चा, क्षत्रिय संगठन, जैन सभा, और पूर्व सैनिक संगठन सहित सैकड़ों संगठनों ने भाग लिया। आयोजन में गोरखाली सुधार सभा, बौद्ध महासभा, संयुक्त ब्राह्मण संगठन, वैश्य अग्रवाल सभा और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
सभा में वक्ताओं ने विशेष रूप से उत्तराखंड के नागरिकों से आह्वान किया कि वे सभी जाति, धर्म और भेदभाव को भूलकर इस लड़ाई में साथ आएं और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में योगदान दें।
अन्य शहरों में भी हुए प्रदर्शन
देहरादून के अलावा नैनीताल, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, और हरिद्वार जैसे शहरों में भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से भी अपील की कि वह बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
वक्ताओं का कट्टरपंथी सोच पर प्रहार
सभा में वक्ताओं ने कट्टरपंथी सोच और हिंसा को वैश्विक मानवता के लिए खतरा बताया। वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार केवल वहां तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इस सोच का प्रसार विश्व के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है। इस कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की अपील की गई।
देहरादून में आयोजित यह विरोध मार्च और जनसभा केवल एक स्थानीय कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक वैश्विक आवाज थी, जो मानवाधिकारों की रक्षा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए उठाई गई। वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि मानवता के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए हमें एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
इस विरोध प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि भारत और विश्व समुदाय बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा। यह समय अन्याय के खिलाफ खड़े होने और एकजुट होकर मानवता की रक्षा करने का है।
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