केरल में हुए उपचुनाव जिसमें वायनाड लोकसभा और दो विधानसभा सीटों के चुनाव लड़ने के रुझानों और नतीजों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि गांधी परिवार और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के बीच आपसी साठगांठ है। अभी तुरंत केरल में वायनाड की लोकसभा सीट और पलक्कड़ और चेलाकारा की दो विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव संपन्न हुए हैं। राहुल गांधी के के इस्तीफा देने के कारण वायनाड में उपचुनाव हुआ है। राहुल गांधी ने 2024 का लोकसभा चुनाव वायनाड और रायबरेली की दो सीटों से एक साथ जीता। 2024 के लोकसभा चुनाव में वायनाड सीट पर दूसरे चरण में मतदान हुआ, जबकि रायबरेली में पांचवें चरण में मतदान हुआ।
रायबरेली लोकसभा सीट के लिए अधिसूचना वायनाड में मतदान के बाद ही जारी की गई। राहुल गांधी ने वायनाड में मतदान होने तक किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ने का इरादा भी नहीं जताया था। यह भी सोचने वाली बात है कि राहुल गांधी ने वायनाड से ही इस्तीफा क्यों दिया। लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही यह स्पष्ट था कि प्रियंका वाड्रा उस सीट से चुनाव लड़ेंगी जो राहुल गांधी द्वारा खाली की जाएगी। कयास लगाए जा रहे थे कि प्रियंका गांधी के लिए रायबरेली से उपचुनाव जीतना आसान होगा। रायबरेली से गांधी परिवार 1967 से ही चुनाव लड़ता आ रहा है और 1977 को छोड़कर जीतता आ रहा है। इंदिरा गांधी ने इस सीट से चुनाव लड़ने की शुरुआत की और 1977 को छोड़कर जीतती भी रहीं हैं। जब उन्हें जनता पार्टी के राज नारायण ने 16.62 प्रतिशत वोटों के बड़े अंतर से हराया था। 1980 में इंदिरा गांधी तत्कालीन आंध्र प्रदेश की मेडक और अपनी परंपरागत सीट रायबरेली से जीती थीं। लेकिन, इंदिरा गांधी ने अपने पारिवारिक व्यक्ति अरुण नेहरू के लिए लोकसभा में जगह बनाने के लिए रायबरेली से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि यह सीट अरुण नेहरू के लिए सुरक्षित है। इसी तरह यह उम्मीद की जा रही थी कि प्रियंका वाड्रा को लोकसभा में सुरक्षित प्रवेश दिलाने के लिए राहुल गांधी रायबरेली की सीट खाली कर सकते हैं।
लेकिन राहुल गांधी के वायनाड से इस्तीफा देने के फैसले के कुछ असामान्य कारण थे। राहुल गांधी ने वायनाड से इस्तीफा क्यों दिया? इसका मुख्य कारण गांधी परिवार और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बीच आपसी साठगांठ या जिसे गुप्त समझौता भी कहा जा सकता है। गांधी परिवार को लोकसभा में अपना प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए दक्षिणी राज्यों की आवश्यकता है। सोनिया गांधी का बेल्लारी लोकसभा सीट का प्रयोग बुरी तरह विफल रहा, क्योंकि 1999 में बेल्लारी सीट से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में यह सीट हार गई थी। कर्नाटक में बेल्लारी के ऐसे परिणाम के कारण गांधी परिवार राज्य में किसी भी सीट से अपनी जीत को लेकर आशंकित है। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी तत्कालीन आंध्र प्रदेश की मेडक सीट भी रामाराव की तेलुगू देशम पार्टी से हार गई थी, जिसे इंदिरा गाँधी ने 1980 में जीता था। यह तब हुआ जब कांग्रेस पार्टी ने तत्कालीन लोकसभा चुनाव में 491 सीटों पर चुनाव लड़कर 404 सीटें जीती थीं। कांग्रेस पार्टी ने तत्कालीन चुनावों में केवल 87 सीटें खोई, जिसमें मेडक भी शामिल है। इसके अलावा तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी डीएमके के कंधे पर सवार है। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का लोकसभा या विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। कांग्रेस पार्टी को दक्षिण भारत के केवल तेलंगाना और केरल राज्यों से ही उम्मीद है।
अगर हम गांधी परिवार और पी विजयन के बीच गुप्त समझौता की बात करें तो पाते हैं कि विजयन को केरल में विधानसभा चुनाव जीतने दिया जाएगा और बदले में गांधी परिवार वायनाड लोकसभा सीट जीतता रहे। केरल में 2021 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने लगातार विधानसभा दूसरी बार चुनाव जीता, जो ना सिर्फ इस राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बड़ी राजनितिक घटना थी। यह इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि 1982 के बाद से लगातार चुनाव कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के बीच आपसी सरकार बदलने की परम्परा है। लेकिन, कांग्रेस पार्टी ने केरल में 2021 का विधानसभा चुनाव अपने कमतर शक्ति और कम संख्या बल के साथ लड़ा। कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कभी भी अपने पूरे बल के साथ लड़ती नज़र नहीं आई। यूं कहें कि कांग्रेस पार्टी केवल चुनावी प्रक्रिया का एक हिस्सा भर बनकर रह गई थी। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी की सहयोगी और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की दूसरी सबसे बड़ी घटक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने गठबंधन के तहत अपने कोटे के तहत 25 सीटों पर अपने विरोधी एलडीएफ को कड़ी टक्कर दी थी।
पार्टी सीटें चुनाव जीत प्रतिशत जीत
कांग्रेस 93 21 22.58
आईयूएमएल 25 15 60
केरल कांग्रेस 10 2 20
आरएसपी 5 0 0
केसी(जे ) 1 1 100
आरएमपीआई 1 1 100
जहाँ कांग्रेस पार्टी 2021 के विधानसभा में मजबूती से चुनाव लड़ती नहीं दिखी। वहीं वायनाड लोकसभा सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव या उसके बाद होने वाले उपचुनाव में केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन कांग्रेस पार्टी या यों कहें कि गाँधी परिवार के खिलाफ मजबूत राजनीतिक मुकाबले के लिए गंभीर नहीं दिखे। माकपा और एलडीएफ ने राहुल गांधी या प्रियंका वाड्रा के खिलाफ केवल सांकेतिक मुकाबला भर किया। इतना ही नहीं उपचुनाव में प्रियंका वाड्रा की जीत का अंतर भी बढ़ गया है। जबकि, उपचुनाव में अमूमन जीत का अंतर कम हो जाता है। कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र में नांदेड़ लोकसभा सीट का उपचुनाव जहाँ आम चुनाव में 59,442 वोटो से जीती थी, वहीं उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी महज 1457 वोटों के अंतर से यह सीट जीत सकी।
केरल में दो विधानसभा उपचुनावों में दोनों सीटें संबंधित सहयोगियों ने बरकरार रखीं। एक सीट माकपा ने जीती जबकि दूसरी कांग्रेस पार्टी ने। चेलाकारा सीट माकपा के पास रही, जबकि पलक्कड़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने 2021 की तरह विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। पलक्कड़ विधानसभा सीट पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही, जबकि चेलाकारा विधानसभा सीट पर भाजपा के वोट शेयर में 2021 के प्रदर्शन के मुकाबले 5.81 प्रतिशत का सुधार हुआ।
वस्तुतः केरल में भाजपा के बढ़ते जनाधार के कारण गांधी परिवार और पी विजयन दोनों ही हताशा की स्थिति में हैं। गांधी परिवार अपनी वायनाड लोकसभा सीट को लेकर भयभीत है, जबकि पी विजयन मुख्यमंत्री पद के लिए सतर्क हैं। गाँधी परिवार और पी विजयन में समानता है कि दोनों ही परिवारवादी हैं। दोनों का पहला उद्देश्य अपने परिवार को राजनीति में बढ़ाना है। संसद में वर्तमान में गांधी परिवार के तीन सदस्यों के अलावा रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी लोकसभा सदस्यता के लिए पहले ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। इसलिए अगले लोकसभा चुनाव में हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि अमेठी के सांसद किशोरीलाल शर्मा को गांधी परिवार के पक्ष में अपनी सीट खाली करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
वहीं केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन अपने दामाद पी. ए. मोहम्मद रियास को राजनीति में आगे बढ़ाने में लगे हैं। उनका पूरा ध्येय अपने बदले अपने दामाद पी. ए. मोहम्मद रियास को अपना उत्तराधिकारी बना कर राज्य का अगला मुख्यमंत्री का पद सौंपना है। कम्युनिस्ट दलों में कांग्रेस पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दलों का परिवारवाद घर करता जा रहा है। जब से कम्युनिस्ट दल कांग्रेस पार्टी के साथ राजनीतिक सम्बन्धो में बंधी हैं तब से उनमें ये विकृति बढ़ती जा रही है।
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